प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 17 मई 2025 — छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को सशक्त, संतुलित और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए शिक्षकों और शालाओं के युक्तियुक्तकरण की पहल की है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप उठाया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षक संसाधनों का समान और अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करना है।
राज्य में वर्तमान में 30,700 प्राथमिक और 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाएं संचालित हो रही हैं। इनमें छात्र-शिक्षक अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर होने के बावजूद कई विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। फिलहाल प्रदेश की 212 प्राथमिक और 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं पूरी तरह से शिक्षक विहीन हैं, जबकि हजारों स्कूल केवल एकल शिक्षक के सहारे चल रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर, कई विद्यालय ऐसे भी हैं जहां आवश्यकता से अधिक शिक्षक पदस्थ हैं। उदाहरण के तौर पर लगभग 1,500 प्राथमिक और 5,100 से अधिक पूर्व माध्यमिक शालाओं में 5 या उससे अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। यह असंतुलन शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।
शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्राथमिक स्तर पर 7,296 और पूर्व माध्यमिक स्तर पर 5,536 अतिरिक्त शिक्षकों की आवश्यकता है, जबकि क्रमशः केवल 3,608 और 1,762 शिक्षक ही अतिशेष रूप में उपलब्ध हैं। युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के माध्यम से इन अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक-विहीन और एकल शिक्षक वाले विद्यालयों में तैनात किया जाएगा।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया किसी भी स्कूल को बंद करने की नहीं है। क्लस्टर स्कूल अवधारणा के तहत एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शालाओं का प्रशासनिक समन्वय किया जाएगा, जिससे अधोसंरचना और शैक्षिक संसाधनों की उपलब्धता बेहतर हो सके।
युक्तियुक्तकरण से मिलने वाले प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
- शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक शालाओं में शिक्षक उपलब्ध होंगे
- बच्चों को एक ही परिसर में पढ़ाई की सुविधा मिलेगी
- स्थापना व्यय में कमी आएगी
- ड्रॉपआउट दर में कमी और छात्र ठहराव दर में वृद्धि होगी
- तीन स्तरों पर बार-बार प्रवेश लेने की आवश्यकता समाप्त होगी
- मजबूत अधोसंरचना विकसित करने में मदद मिलेगी
शिक्षकों के संतुलित वितरण की यह योजना छत्तीसगढ़ में गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक दूरदर्शी और निर्णायक पहल मानी जा रही है।