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नक्सल प्रभावित कोंडागांव की रंजीता ने खेलो इंडिया में जूडो का स्वर्ण जीतकर रचा इतिहास, बालिका गृह से निकलकर ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड लाने का रखा सपना

डेस्क

कोंडागांव, छत्तीसगढ़, 20 मई 2025

नक्सल प्रभावित क्षेत्र से निकलकर दो बहनों ने खेल के मैदान में अपनी मेहनत और हौसले का लोहा मनवाया है। इनमें से बड़ी बहन 17 वर्षीय रंजीता ने खेलो इंडिया के जूडो मुकाबले में 52 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर राज्य और देश का नाम रोशन किया है, वहीं उनकी छोटी बहन तीरंदाजी में निपुणता हासिल कर रही हैं।

रंजीता का सफर कोंडागांव के बालिका गृह से शुरू हुआ। कोच नारायण सोरेन, उदय सिंह और जयप्रकाश के मार्गदर्शन में उन्होंने खेलों में रुचि विकसित की। दौड़ से शुरुआत कर तीरंदाजी में हाथ आजमाया और अंततः जूडो में खुद को पहचाना।

2021 में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पांचवां स्थान प्राप्त करने के बाद रंजीता का चयन भोपाल स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में हुआ। वर्तमान में वे नौवीं कक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ जूडो की ट्रेनिंग ले रही हैं।

रंजीता की कहानी संघर्ष से भरी है। पिता के निधन और आर्थिक तंगी के कारण उन्हें बालिका गृह में रहना पड़ा। मां की दूसरी शादी के बाद जीवन की दिशा बदल गई, और बालिका गृह ने उन्हें एक नया अवसर दिया।

छत्तीसगढ़ राज्य बाल कल्याण परिषद के प्रिंसिपल मणि शर्मा के अनुसार, रंजीता ने आठवीं तक की पढ़ाई बालिका गृह में पूरी की और अब भोपाल में पढ़ाई के साथ खेल में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं।

दोनों बहनों की यह उपलब्धि न सिर्फ कोंडागांव, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। रंजीता अब ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने का सपना देख रही हैं।

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