प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 03 जनवरी 2020
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने आज एक बयान जारी करते हुए यह आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की छत्तीसगढ़ प्रभारी डी पुरंदेश्वरी देवी ने पत्रकारों को गलत जानकारी दी है उन्हें तत्काल इसके लिए पत्रकार बंधुओं एवं प्रदेश के किसानों से क्षमा याचना करनी चाहिए। वास्तविकता यह है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान के किसानों को भुगतान के लिए मार्कफेड द्वारा प्रतिवर्ष बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण लिया जाता है। इस वर्ष भी मार्कफेड नें 9500 करोड़ रुपए का ऋण लिया है ना कि केंद्र सरकार से राज्य को कोई 9000 करोड़ की कोई कथित राशि मिली है। काँग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने बताया कि मिलिंग उपरांत चावल जमा होने पर चावल की भुगतान राशि मार्कफेड को प्राप्त होती है जिससे इस ऋण का पुनर्भुगतान किया जाता है। इस वर्ष भी अब तक मार्कफेड द्वारा कुल 9500 करोड़ का ऋण लिया गया है जिसमें से 7000 करोड़ का ऋण एनसीडीसी द्वारा दियाय गया है। यह राशि केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया अनुदान नहीं है बल्कि ऋण है जिसका इसी विपणन वर्ष में पुनर्भुगतान किया जाना है। इस विपणन वर्ष के अंत तक अनुमानित 16000 करोड़ तक का ऋण लेने की योजना है जिसे अन्य वित्तीय संस्थाएं जैसे यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, नाबार्ड, पीएनबी इत्यादि से लेने की भी योजना है।
खरीफ विपणन वर्ष 2020- 21 के लिए धान उपार्जन हेतु 21.48 लाख कृषको का पंजीयन किया गया है। जिनसे 90 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी अनुमानित है। 1 जनवरी तक 13.50 लाख किसानों से लगभग 53 लाख मैट्रिक टन धान की खरीदी की जा चुकी है। वर्तमान में राज्य के पीडीएस की आवश्यकता हेतु ही नागरिक आपूर्ति निगम में चावल जमा करने की अनुमति है। यह लगभग 30 लाख मीट्रिक टन धान की मिलिंग हेतु ही सीमित है। शेष अनुमानित 60 लाख मैट्रिक टन धान जिससे लगभग 40 लाख मीट्रिक टन चावल की बिलिंग हो सकती है उसे एफसीआई में जमा करना आवश्यक है। जिसकी अनुमति भारत सरकार से अप्राप्त है।
वर्तमान में राज्य के पीडीएस की आवश्यकता हेतु नागरिक आपूर्ति निगम में चावल जमा करने के लिए आवश्यक 30 लाख मीट्रिक टन धान से अधिक का उपार्जन हो चुका है एवं उपार्जन लगातार राज्य शासन की अनुमति से चल रहा है। आर पी सिंह ने कहा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से आग्रह है केंद्र की मोदी सरकार से बात करके शीघ्र एफसीआई को चावल उठाने के निर्देश दें। सिर्फ जुबानी जमा खर्च से प्रदेश के किसानों का हित होने वाला नहीं है।