बलौदाबाजार जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तुरतुरिया में नहीं होगा इस वर्ष मेला, जनपद पंचायत CEO ने जारी किया आदेश

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भूपेश टांडिया रायपुर

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक तुरतुरिया में इस बार छेरछेरा के मौके पर होने वाला मेला नहीं होगा ।जनपद पंचायत कसडोल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने आदेश जारी कर कहा है कि इस बार 27 जनवरी 2021 से 29 जनवरी 2021 तक होने वाले तुरतुरिया मेला को रद्द किया जाता है ।

 

 

 

दरअसल जनपद पंचायत कसडोल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने कोविड-19 महामारी के संक्रमण के चलते लोक हित में फैसला लेने का निर्णय लिया है । आपको बता दें कि इस दौरान किसी प्रकार के पंडाल ,दुकान, सर्कस, सिनेमा,साइकिल स्टैंड, होटल, ठेला लगाना आदि को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है । इस संबंध में ग्राम पंचायत में मुनादी कराकर एवं सर्वसाधारण को सूचित किया गया है।

व्यापारियों में गम का माहौल

जनपद पंचायत कसडोल द्वारा लिए गए इस निर्णय को लेकर व्यापारियों में काफी गम का माहौल है क्योंकि छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्व  छेरछेरा पर तुरतुरिया में एक बड़े मेला का आयोजन होता था इस मेले में काफी भीड़ जुटी थी और व्यापारियों को काफी फायदा भी पहुंचता था लेकिन संक्रमण के चलते अब मेले को रद्द कर दिए जाने से व्यापारियों में गम का माहौल है।

जनपद CEO द्वारा जारी किया गया आदेश

बलौदाबाजार जिला से 29 किमी दूर कसडोल तहसील से 12 और सिरपुर से 23 किमी की दूरी पर स्थित है जिसे तुरतुरिया के नाम से जाना जाता है। उक्त स्थल को सुरसुरी गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थल प्राकृतिक दृश्यों से भरा हुआ एक मनोरम स्थान है जो कि पहाड़ियो से घिरा हुआ है। इसके समीप ही बारनवापारा अभ्यारण भी स्थित है। तुरतुरिया बहरिया नामक गांव के समीप बलभद्री नाले पर स्थित है। जनश्रुति है कि त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम यही पर था और लवकुश की यही जन्मस्थली थी।

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इस स्थल का नाम तुरतुरिया पड़ने का कारण यह है कि बलभद्री नाले का जलप्रवाह चट्टानों के माध्यम से होकर निकलता है तो उसमें से उठने वाले बुलबुलों के कारण तुरतुर की ध्वनि निकलती है। जिसके कारण उसे तुरतुरिया नाम दिया गया है।

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