प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 06 मई 2021
छत्तीसगढ़ में कोरोना टीका पर लगातार घमासान जारी है । पहले राज्य सरकार ने कोरोना टीका को आर्थिक आधार पर लगाने का निर्णय लिया था । इस निर्णय को लेकर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अमित जोगी ने इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी । हाईकोर्ट ने सरकार से कहां से की यह नीति राज्य सरकार की ठीक नहीं है, आप नीति स्पष्ट करें । इसके बाद राज्य सरकार ने आखिरकार 18 से 44 वर्ष के उम्र के बीच लगने वाले लोगों के टीका को स्थगित कर दिया है । छत्तीसगढ़ में एक मई से शुरू हुए 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के लोगोें के टीकाकरण अभियान पर ग्रहण लग गया है। उच्च न्यायालय की फटकार के बाद सरकार पर टीकाकरण में कथित प्राथमिकता का वाजिब कारण तलाश रही है। इसमें वक्त लग सकता है तब तक न्यायालय की तौहीन करने के आरोपों से बचने के लिए सरकार ने टीकाकरण को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव सुरेंद्र सिंह बाघे ने बुधवार को टीकाकरण को स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया। कलेक्टरों को जारी आदेश में कहा गया, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को एक निर्देश दिया है। इसके मुताबिकके स्वास्थ्य विभाग से 30 अप्रैल को जारी टीकाकरण में अन्त्योदय, BPL और APL के आधार पर प्राथमिकता तय करने वाले आदेश को संशोधित करने को कहा गया है। उच्च न्यायालय ने कहा है, इन वर्गों में टीकाकरण के अनुपात का निर्धारण कमजोर वर्गों, उनमें संक्रमण फैलने की संभावना और पात्र व्यक्तियों की संभावित संख्या के आधार पर होना चाहिए। इसका निर्धारण भी राज्य सरकार को करना है। इस अनुपात के निर्धारण में सरकार को कुछ समय लग सकता है। इस बीच अगर केवल अन्त्योदय राशन कार्ड वालों को टीका लगाया गया तो इसे उच्च न्यायालय की अवहेलना माना जा सकता है। ऐसे में 30 अप्रैल के आदेश में संशोधन किए जाने तक 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण स्थगित किया जाता है।
सचिवों की समिति बनी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया, उच्च न्यायालय का आदेश मिलने के बाद राज्य सरकार ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता में सचिवों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है। यह समिति टीकाकरण में अन्त्योदय, BPL और APL वर्गों में प्राथमिकता का अनुपात तय करेगी। इसकी सिफारिशों के आधार पर सरकार अपना जवाब उच्च न्यायालय में पेश करेगी।
आदेश में गिनाई सरकार ने प्राथमिकता तय करने की मजबूरियां
टीकाकरण को स्थगित करने के लिए जारी आदेश में स्वास्थ्य विभाग ने टीकाकरण में विवादित प्राथमिकता तय करने की मजबूरियां गिनाई हैं। कहा गया है, केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद राज्य सरकार ने वैक्सीन उत्पादकों से वैक्सीन की 75 लाख खुराक मांगी थी। 30 अप्रैल तक सरकार को वैक्सीन नहीं मिली थी। उस दिन देर शाम राज्य सरकार को बताया गया कि एक मई को वैक्सीन की 1.5 लाख डोज पहुंचेगी। विस्तृत कार्ययोजना बनाने का समय नहीं था। वैक्सीन लगवाने वालों की अनुमानित संख्या 1.35 करोड़ थी। ऐसे में कानून व्यवस्था और भीड़ इकट्ठा होने से बचाने के लिए एक समूह विशेष को प्राथमिकता देना आवश्यक हो गया था।
अन्त्योदय समूह के पास मोबाइल न होने का दिया राज्य सरकार ने तर्क
आदेश में अधिकारी ने अन्त्योदय समूह के लोगों के पास मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं होने का भी तर्क दिया है। कहा गया, केंद्र सरकार को कोविन पोर्टल मोबाइल नंबर और OTP के आधार पर पंजीयन करता है। ऐसे में इस वर्ग के लोगों का पंजीयन लगभग असंभव है। केंद्र सरकार ने टीकाकरण में ऑनसाइट पंजीयन की अनुमति नहीं दी है। इसलिए मजबूरी में अति गरीब लोगों के प्रति सुरक्षात्मक नीति अपनानी पड़ी है।
टीकाकरण की प्राथमिकता को अदालत में मिली है चुनौती
छत्तीसगढ़ ने 30 अप्रैल 2021 के आदेश से प्रदेश में वैक्सीन के एक लाख 3 हजार वैक्सीन डोज के साथ टीकाकरण की शुरुआत की। इसके साथ ही यह टीकाकरण में आर्थिक आधार पर प्राथमिकता तय करने वाला पहला प्रदेश बन गया। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अमित जोगी सहित कई लोगों ने उच्च न्यायालय में इसे भेदभाव और आरक्षण बताते हुए चुनौती दी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने सख्त टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने कहा, बीमारी अमीरी या गरीबी देखकर नहीं आती है। इसलिए वैक्सीन भी इस नजरिए से नहीं लगाई जा सकती। उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग के आदेश को गलत बताते हुए एक स्पष्ट पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई अब 7 मई को होनी है