नेहा शर्मा
बलोदा बाजार,नई दिल्ली 26-08-2021
क्या आप भी ई-कॉमर्स वेबसाइटों और ऐप पर बस एक क्लिक से खरीददारी करने के शौकीन हैं? संभव है जल्द सुविधाजनक खरीदारी के आपके इस अनुभव के रास्ते में रोड़ा आ सकता है, आरबीआई के एक आदेश के अनुसार जनवरी 2022 से इंटरनेट पर आपसे भुगतान लेने वाली सेवाएं आपके क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड की जानकारी अपने पास स्टोर नहीं कर पाएंगे।
यूपीआई को बाढ़ावा
केंद्रीय बैंक के अनुसार इस समस्या का एक नया समाधान है ‘टोकन सिस्टम ‘इसके तहत कार्ड कंपनियां हर कार्ड से जुड़ा एक टोकन ई-कॉमर्स कंपनियों को देंगी, भुगतान इसी टोकन के जरिए होगा इसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इससे ग्राहक के कार्ड का नंबर कोई भी नहीं देख सकता । सिर्फ वह आदमी जिसका वह कार्ड है वही उस कार्ड के नंबर को देख सकता है यह एक प्राइवेसी पॉलिसी है। आजकल भुगतान के लिए काफी इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली ‘यूपीआई ‘भी एक तरह का टोकन ही है.इसमें भी कोई नंबर या अकाउंट नंबर किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दिखेगा ।
डार्क – वेब पर डाटा का अवैध – बाजार
डाटा चुराने वाले कई तरह की वायरसों के जरिए आपके क्रेडिट कार्ड का नंबर और बाकी जानकारी चुरा सकते हैं।डार्क वेब पर तो इस तरह के चुराए हुए डाटा का पूरा अवैध-बाजार है जो बाजारों में पूरी तरह से फैला है।
हैकर बेच देते थे जानकारी
इसके अलावा हैकर कंपनियों के डेटाबेस को हैक कर उसे अवैध रूप से हासिल कर लेते हैं। इस डेटाबेस में ग्राहकों की निजी जानकारी और उनके कार्डों की ही सारी जानकारी होती है जिन्हें है कर भेज देते हैं। बीते कुछ सालों में भारत की कंपनियों पर इस तरह के हमले और उनसे हुई डाटा चोरी के मामले काफी बढ़ गए हैं।अप्रैल 2021 में मोबाइल वॉलेट और पेमेंट एप मोबिक्विक इस्तेमाल करने वाले 11 करोड़ लोगों का डाटा चोरी होने की खबर आई थी।
तो क्या है समाधान?
वैसे भारत में कई तरह के कार्डों पर बीमा भी मिलता है। अगर किसी के साथ कार्ड से संबंधित धोखाधड़ी हो जाए तो वह एफआईआर दर्ज करा कर बीमे के तहत तय राशि देने के लिए दावा कर सकता है।यह राशि देने की कार्ड देने वाले बैंक की जिम्मेदारी होती है, लेकिन संभव है कि धोखाधड़ी और डाटा लीक की घटनाओं के बढ़ने की वजह से आरबीआई अब इस व्यवस्था को चाक-चौबंद करना चाह रहा हो।