CG दो अलग – अलग खबर : राज्य का कोई भी विश्वविद्यालय या सरकारी कॉलेज नहीं बना पाया टॉप 100 में जगह……..सरकार ने अभी तक खरीदा 100 करोड़ से अधिक का गोबर

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 10 सितंबर 2021

छत्तीसगढ़ में आज हम उन विषयों की खबर से आपको रूबरू कराएंगे जो आपको जानना बहुत जरूरी है । एक तरफ बुरी खबर यह है कि नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एआईआरएफ) गुरुवार को जारी किया गया । इसमें छत्तीसगढ़ के संस्थानों का बुरा हाल देखने को मिला । ओवरऑल यूनिवर्सिटी और कॉलेज कैटेगरी के टॉप 100 में छत्तीसगढ़ का कोई भी संस्थान जगह नहीं बना पाया । छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी माने जाने वाली रविशंकर विश्वविद्यालय की रैंकिंग पिछले बार से भी नीचे चली गई । लॉ, मेडिकल केटेगरी में तो और हालत खराब है । रायपुर के आई आई एम और एनआईटी की रैंकिंग जरूर सुधरी है, लेकिन मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कैटेगरी में ओवरऑल में एनआईटी रैंक बैंड 101 – 150 में है ।

 

 

 

 

क्या है ताजा रैंकिंग?

इस रैंकिंग में इंजीनियरिंग के शीर्ष 10 संस्थानों की सूची में 8 आईआईटी, दो एनआईटी ने जगह बनाई । आपको बताते चले की छत्तीसगढ़ के 261 कॉलेजों में से केवल 4 सरकारी कॉलेज ही रैंकिंग के लायक है । आप छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा के हालात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि 261 सरकारी कॉलेजों में सिर्फ चार एनआईआरएफ में शामिल हुए हैं और किसी को टॉप 100 में जगह नहीं मिली ।

फ़ाइल फ़ोटो

100 करोड़ से अधिक राशि की गोबर की खरीदी

अब बात करते है दूसरी बड़ी खबर की जिसमें सरकार ने कहा है कि अभी तक सरकार ने 100 करोड़ से अधिक के गोबर की खरीदी कर ली है । आपको बताते चले कि गोबर खरीदने की शुरुआत पिछले साल 21 जुलाई 2020 से हुई थी । गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी का आंकड़ा अब तक 100 करोड़ रूपए के पार पहुच चुका है। खरीदे गए गोबर से राज्य के लगभग 6000 गौठानों में बहुतायत रूप से वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का उत्पादन महिला समूहों द्वारा किया जा रहा है। गौठानों अब तक उत्पादित एवं विक्रय की गई खादों का मूल्य 90 करोड़ रूपए के पार हो गया है।  गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी की राशि का आंकड़ा 100 करोड़ के पार हो गया है।  गोबर को बेचने वाले और खरीदने वाले और उससे वर्मी कम्पोस्ट से लेकर विविध उत्पाद तैयार करने वाले गांव के ही है । गोधन न्याय योजना के तहत अब तक 100 करोड़ 82 लाख रूपए की गोबर की खरीदी गौठानों में हो चुकी है। गौठान समितियों को 32 करोड़ 94 लाख तथा महिला स्व-सहायता समूहों को अब तक 21 करोड़ 42 लाख रूपए के लाभांश का वितरण किया जा चुका है।

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