कांग्रेस में अंतर्कलह : कांग्रेस पार्टी में विधायक शैलेश ने कहा-‘मैं टीएस समर्थक, तो हो गई कार्रवाई की अनुशंसा…’उधर बृहस्पत ने तो लगाया था टीएस पर मरवाने का आरोप, उनपर कोई कार्रवाई नहीं…सियासी गलियों में लगातार चर्चा

Exclusive Latest Uncategorized छत्तीसगढ़ बड़ी ख़बर राजनीति रायपुर

प्रमोद मिश्रा, रायपुर, 25 सितंबर 2021

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी का जनादेश है, विधानसभा में भी 70 विधायक हैं। लेकिन इन सबके बावजूद समय-समय पर आपसी अंतर्कलह इस कदर खुलकर सामने आ जाती है कि विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल जाता है।

 

 

 

 

 

ताजा मामला बिलासपुर से जुड़ा हुआ है, जहां शहर विधायक शैलेश पांडेय ने कह दिया कि हम टी एस के समर्थक हैं, इसलिए पुलिस हमें पकड़ रही है…बयान कोई बड़ा नहीं था…लेकिन अपनी सूूूत्र बताते हैं कि भड़ास निकालने के लिए कुछ नेताओं ने दूसरे दिन ही शहर कांग्रेस की बैठक रखवा दी और विधायक शैलेश पांडेय के बयान को अनुशासनहीन बताकर 6 साल के लिए निष्कासन की भी अनुशंसा कर पार्टी के संगठन को भेज दिया।

 

आपको बताते चले कि शहर कांग्रेस की बैठक में मौजूद अटल श्रीवास्तव ने तो यहां तक कह दिया कि ‘पैराशूट’ विधायक ने जो कुछ किया वह ठीक नहीं था। ऐसे में शहरवासी पूछ रहे हैं कि बिलासपुर की जनता द्वारा चुने हुए विधायक को उनकी ही पार्टी के नेता अगर ‘पैराशूट’ कहे, तो वह अनुशासनहीनता है या फिर एक विधायक को अपने बड़े नेता का आदमी बताना, अनुशासनहीनता है?

 

गौरतलब है कि शैलेश पांडेय ने जब से बतौर बिलासपुर विधायक कमान संभाली है, अपने पार्टी से ज्यादा और दूसरे पार्टी के नेताओं के विरोध का कम सामना करना पड़ा है। बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व में मंत्री रहे अमर अग्रवाल को हराना कोई आम बात नहीं थी । लेकिन अपनी सौम्य छवि के कारण पहले ही चुनाव में शैलेश पांडेय ने बीजेपी के बड़े नेता अमर अग्रवाल को चुनाव में परास्त किया और विधायक बनकर आये।

पढ़ें   कैबिनेट मंत्री छत्तीसगढ़ प्रवास पर : भारत सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह का कोरबा प्रवास 13 जुलाई से, जिले में केन्द्र सरकार की योजनाओं की करेंगे समीक्षा, विकास कार्याे का भी लेंगे जायजा
फ़ाइल फ़ोटो

कांग्रेस में अनुशासनहीनता की कहानी 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस में अनुशासन को दरकिनार करते पार्टी लाइन से बाहर काम करने या फिर बयान देने की फेहरिस्त काफी लंबी है। कांग्रेस विधायक बृहस्पत सिंह ने जुलाई में कहा था कि मुझे टीएस सिंहदेव से जान का खतरा है और वो मुझे मरवा सकते हैं। इस बयान से टीएस सिंहदेव इतने दुखी हुए कि विधानसभा सत्र में सदन के अंदर अपनी पीड़ा बताते कह डाला कि जब तक सरकार इसपर अपना रुख स्पष्ठ नहीं करती,वो सदन में नहीं लौटेंगे।

 

 

इस विषय पर ताज्जुब की बात यह रही कि इतने बड़े आरोप के बावजूद बृहस्पत सिंह के ऊपर कोई कार्रवाई की अनुशंसा नहीं हुई।

फ़ाइल फ़ोटो

अभी कुछ दिनों पहले की ही बात है जब लगभग 53 विधायक पार्टी आलाकमान के बिन बुलाए दिल्ली पहुँच गए। एक तरफ प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम कहते रहे कि किसी भी को, पार्टी आलाकमान ने दिल्ली नहीं बुलाया है। मरकाम ने विधायकों को पार्टी का अनुशासन मानने की बात कह डाली। कुछ ऐसा ही बयान पी एल पुनिया का भी आया, पुनिया भी कहते रहे कि किसी भी विधायक कोई दिल्ली नहीं बुलाया गया, वो दिल्ली आकर ठीक नहीं कर रहे..लेकिन विधायको ने उनकी एक न सुनी और दिल्ली जाते गए । अब आप समझ सकते हैं कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के प्रदेश प्रभारी का बात नहीं मानना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है या नहीं?

फ़ाइल फ़ोटो

जनता के द्वारा चुने हुए विधायक को ‘पैराशूट’ कहना जनता का अपमान नहीं?

पढ़ें   रायपुर में पुलिस का चेकिंग अभियान : VIP रोड के बार, रेस्टोरेंट और क्लब में पुलिस ने दी अचानक दबिश, बार लाइसेंस नियमों का पालन करने बार संचालकों को दिया गया निर्देश

बिलासपुर की जनता ने शैलेश पांडेय को अपना वोट देकर विधायक चुना था। जनता ने अपना वोट देकर शैलेश पांडेय को चुना और बीजेपी के कद्दावर नेता अमर अग्रवाल को नकार दिया। राजनीति के जानकार कहते हैं कि बिलासपुर में विधायक शैलेश की साफ छवि और सौम्यता को उन्हीं के पार्टी के कई नेता पचा नहीं पा रहे हैं। इसी वजह से शैलेश पांडेय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है । राजनीति के जानकारों का कहना है बिलासपुर की जनता सब देख रही है और समझ रही है कि उनके चुने विधायक को कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा किस तरह से परेशान किया जा रहा है ।

रमन सिंह क्या कुछ बोले?

15 वर्षों तक प्रदेश की कमान संभाले डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि ढाई साल में ये स्थिति आ जाएगी, मैंने कल्पना नहीं की थी। विधायकों को पिटवाया जाएगा, उन्हें जेल भेजने की साजिश होगी।

डॉ. रमन ने कहा कि कहा कि अब विधायकों की स्थिति ये हो गई है कि उन्हें बोलना पड़ रहा है। विधायक के सार्वजानिक बयान आ रहे हैं। गुटबाजी की पराकाष्ठा ये हो सकती है कि एक दल के विशेष के लोगों को पिटवाया जा रहा है। जेल में डालने की साजिश होती है। राजनीति में ढाई साल में यहां तक आ जाएंगे। मैंने यहां तक कल्पना नहीं की थी। विधायकों को पीटने और जेल में ठूंसने की बात हो रही है।

Share