छत्तीसगढ़ में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : दुष्कर्म कर 7 साल की बच्ची को मौत के घाट उतारने वाले को फांसी की सजा, 7 महीने में ही कोर्ट ने दिया फैसला

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उदय मिश्रा, मीडिया24 न्यूज़

राजनांदगांव,09 अक्टूबर 2021

राजनांदगांव कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दुष्कर्म के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है।  दरअसल राजनांदगांव फास्ट ट्रेक कोर्ट ने लगभग 7 माह पहले हुए घटना पर यह फैसला सुनाया है। सात वर्षीया बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर देने वाले आरोपी को राजनांदगांव फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।

 

 

 

 

 

राजनांदगांव जिले के सोमनी थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम बघेरा में बीते 22 फरवरी वर्ष 2021 को एक सात वर्षीय मासूम बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद बच्ची की हत्या करने के बाद मामले को दबाने के लिए आरोपी दीपक बघेल ने नाबालिग के शव को रेल्वे ट्रेक पर चलती ट्रेन के सामने फेक दिया था ।  ताकि पुलिस और लोग इसे दुघर्टना समझे लेकिन सोमनी थाना पुलिस ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए , इस मामले की जांच करने के बाद बच्ची के मामा के दोस्त को गिरफ्तार कर पुख्ता सबूतों के साथ आरोपी को हिरासत में लेकर घटना का पर्दाफाश किया । वहीं इसके बाद मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला , बच्ची और उसके परिवार के पक्ष में शहर में रैलियां भी निकली और आरोपी को त्वरित फांसी देने की मांग की गई। कोरोना काल की वजह से कोर्ट बंद रहने के चलते मामले की सुनवाई में कुछ बाधाएं आई ।

 

इसके बावजूद फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष जज अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश शैलेश शर्मा ने त्वरित न्याय करते हुए लगभग 8 माह में ही आज आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। इस मामले में पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता परवेज अख्तर ने कहा है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने वाले आरोपी को आज फांसी की सजा दी गई है, हाईकोर्ट से पुष्टि होने के बाद फांसी की तारीख तय होगी।

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फास्ट ट्रैक कोर्ट में मासूम बच्ची की दुष्कर्म और हत्या के मामले में पीड़ित पक्ष को त्वरित न्याय देने के लिए डीएनए टेस्ट के जरिए मामले की पुष्टि की गई, इसके बाद अन्य सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपी को फांसी की सजा धारा 302 के तहत सुनाई गई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में त्वरित न्याय देते हुए जिले में इस तरह के आरोप की पुष्टि के बाद फांसी की सजा का यह एक माह के भीतर दूसरा मामला है। इस ऐतिहासिक फैसले से पीड़ित पक्ष को न्याय मिला है, तो वहीं इस तरह के अपराधियों का हश्र ऐसा ही होने को लेकर लोगों ने न्याय और कानून व्यवस्था पर आस्था जताई है। इस फैसले से समाज में सकारात्मक संदेश का संचार भी हुआ है।

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