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प्रदेश सरकार पर आरोप : भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ किसान मोर्चा एवं सहकारिता ने प्रदेश सरकार पर लगाया आरोप.. कहा : ‘प्रदेश सरकार की गलत नीतियों के कारण अब तक नहीं हुआ है धान का संग्रहण’

भूपेश टांडिया

रायपुर 20 अक्टूबर 2021

 

छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार खरीफ वर्ष 2020_21 में भी पूरे प्रदेश के 2311 खरीदी केंद्रों से धान खरीदी की गई किंतु शासन की गलत नीति के चलते आज भी उपार्जन केंद्रों में तथा संग्रहण केंद्रों में धान पड़ा हुआ है जिसमें वर्षा के कारण एवम् प्राकृतिक रूप से सुखत्त के कारण उठाव के पश्चात भारी कमी /शॉर्टेज आ रहा है। शासन प्रशासन से मांग हैं की सोसाइटी में धान में आई कमी की क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया जाए तथा सोसायटीयों में कई महीनों धान पड़े रहने के कारण उसके रखरखाव में अतिरिक्त खर्च आया है, उसके भी क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया जाए। यह बताना प्रासंगिक होगा कि उपार्जन केंद्रों में यदि धान की आवक बफर लिमिट से ज्यादा होती है तो उसके 72 घंटे के अंदर उठाए जाने का का प्रावधान है साथ ही शेष बचे धान को 31 मार्च तक आवश्यक रूप से उठाए जाने का उल्लेख खरीदी नीति में है। लेकिन शासन की गलत नीति के चलते धान का उठाव समयावधि में नहीं हो पाया। आज भी पड़े पड़े धान सड़ रहा है । पत्रकार वार्ता के माध्यम से इस बात की मांग किया गया कि धान खरीदी के समय में मार्च-अप्रैल 2021 में धान का उठाव ना तो राइस मिलों को हुआ न हीं संग्रहण केंद्रों में परिवहन कराया गया ।क्या कारण है? इसकी सूक्ष्मता से जांच कराई जाना आवश्यक है। इस वर्ष धान की खरीदी 1 नवंबर से आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए ।साथ ही 2 वर्ष का जो बोनस कांग्रेस सरकार ने वादा किया था उसको तत्काल दिया जाना चाहिए। सोसाइटीओं में भी सुखत का प्रावधान किए जाने हेतु छत्तीसगढ़ शासन की मंत्रिमंडलीय समिति ने विगत वर्षों में निर्णय लिया था की इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से इसके सुखत के मापदंड का अध्ययन कराया जा रहा है ,उसकी अनुशंसा के आधार पर सोसाइटी में भी सुखत का प्रावधान किया जाएगा। ऐसी स्थिति में सोसाइटी में भी प्रावधान कराया जावे। अन्यथा इस स्थिति में (CWC) केंद्रीय भंडार गृह निगम द्वारा निर्धारित मापदंड का पालन आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए । जिससे सोसायटीओं की आर्थिक स्थिति कमजोर ना हो। वरना शासन का नुकसान कम होता है, सोसाइटी का ज्यादा नुकसान होता है ।क्योंकि सोसाइटी को जो कमीशन दिया जाता है उससे इसकी भरपाई सरकार कर लेती है । अतः हमारा विशेष आग्रह है कि सोसाइटियों के कमीशन की राशि से शॉर्टेज की राशि की भरपाई नहीं किया जाए।

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पुनर्गठन पश्चात अस्तित्व में आई नवीन सोसाइटियों तथा अन्य समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन अप्राप्त है जिसे तत्काल भुगतान किया जाना चाहिए। सोसाइटियों के माध्यम से किसानों को रासायनिक खाद खरीदते समय गुणवत्ता विहीन वर्मी कम्पोष्ट खरीदने की बाध्यता समाप्त किया जावे।

उपरोक्त कारणों से सहकारी समितियों की आर्थिक स्थिति दिनों दिन कमजोर होती जा रही है । जिसके कारण किसानों को सोसाइटियों से मिलने वाले लाभांश से वंचित होना पड़ रहा है। अतः आग्रह है कि छत्तीसगढ़ सरकार को उक्त मांगे तत्काल स्वीकृत करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश देने का कष्ट करेंगे।

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