PLGA की बुकलेट : 20 सालों में गई 4739 नक्सलियों की जान, 5 लाख से 1 करोड़ तक के नक्सली इस दौरान हुए ढेर, 196 आने ही लगाए एंबुश में फंसे

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर/बस्तर, 25 दिसंबर 2021

नक्सलियों की PLGA यानी ‘पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी’ ने 109 पन्नों की एक किताब जारी की है। इस किताब में माओवादियों ने साल 2000 से लेकर अगस्त 2021 तक अपनी सारी कामयाबी और नुकसान का जिक्र किया है। जितने भी माओवादी नेताओं की मुठभेड़ हो या सामान्य मौत उनका भी जिक्र किया है। नक्सलियों ने 109 पन्नों की इस किताब में पिछले 20 सालों की हर एक घटना के बारे में लिखा है। चाहे वो ताड़मेटला की घटना हो या फिर मीनपा और टेकलगुड़ा एंबुश।

 

 

PLGA के अनुसार, पिछले 20 सालों में पूरे देशभर में कुल 4739 माओवादियों की बीमारी, हादसों और मुठभेड़ की वजह से मौत हुई है। इनमें 909 महिला माओवादी भी शामिल हैं। साथ ही सेंट्रल कमेटी मेंबर 16, एसएससी, एसजेडसी ,एससी मेंबर 44, आरसी मेंबर 9 और जेसी, डीवीसी और डीसी के 168 मेंबर भी शामिल हैं।

माओवाद पार्टी के ये सभी बड़े टॉप कैडर हैं। पद के हिसाब से इनकी खूंखार प्रवृत्ति का पता चलता है। माओवादियों के पद के अनुसार 5 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ तक का इनाम था। पुलिस की माने तो कुल 60 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनाम इन सभी पर घोषित था।

माओवादियों ने अब तक किए हैं कुल 4031 हमले

माओवादियों ने किताब में जो आंकड़े जारी किए हैं उसके अनुसार पिछले 20 सालों में अब तक कुल 4031 छोटे-बड़े हमले जवानों पर किए गए हैं। PLGA ने पिछले 20 सालों के इन हमलों में कुल 3054 जवानों को मारने और 3672 जवानों को घायल करने का दावा किया है।

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मुठभेड़ के बाद जवानों के लगभग 3222 हथियार लूटने और 1,55,356 कारतूस लूटने का जिक्र भी किताब में किया गया है। वहीं माओवादियों की तरफ से एंबुश लगाकर जवानों पर किए गए हमलों में 20 सालों में 196 नक्सलियों के मारे जाने की भी बात किताब में लिखी हुई है।

नक्सलियों के 20 सालों के बड़े एंबुश प्लान

नक्सलियों ने देश के अलग-अलग राज्यों में कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। जिसमें सैकड़ों जवानों की शहादत हुई है। छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में जवानों को एंबुश में फंसाया है। इनमें सबसे बड़े एंबुश, मिनपा, जीरागुड़ेम, सारंडा -2, नवाटोला, ऑपरेशन विकास मदनवेड़ा, सनबाइल एंबुश, ताड़मेटला, टेकलगुड़ा, टाहाकवाड़ा, कसलपाड़, बुरकापाल, उरपलमेटा, धरधारिया, डुमरीनाला समेत 20 से ज्यादा बड़े एंबुश नक्सलियों ने प्लान किए थे। नक्सलियों की बनाई रणनीति में इन सभी एंबुश में कई जवानों की शहादत हुई है। हालांकि कई जगह माओवादियों को भी थोड़े बहुत नुकसान झेलने पड़े थे

1989 में छपी थी पहली किताब

नक्सलियों को संगठन में और मजबूती देने के साथ लोगों में क्रांतिकारी विचारधारा फैलाने के लिए संगठन की किताबों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। PLGA ने अपनी बुक में किताबों का भी जिक्र किया है। साल 1989 में पूर्ववर्ती भाकपा राज्य कमेटी आंध्र प्रदेश ने ‘एक जंग’ पत्रिका आरंभ की थी। यह नक्सलवाद के शुरुआती दौर के बारे में लिखी पत्रिका थी। जिसने कोई का मन बदला था।

वहीं साल 2004 के अंत से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी की पत्रिका के रूप में जारी है। वहीं वर्तमान में अलग-अलग राज्यों में कुल 100 से ज्यादा नक्सलियों के व्यक्तिगत जीवन और संगठन को लेकर किताब लिखी हुई है।

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