भूपेश टांडिया
रायपुर 27 जनवरी 2022
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने बिलासपुर और रायपुर नगर निगम की महासभा और महापौर-परिषद को नोटिस जारी किया है. आरोप है कि नगर निगम में स्मार्ट सिटी कंपनी बनाकर निर्वाचित संस्थाओं के अधिकार हड़प लिए गए हैं। इस संबंध में जनहित याचिका दायर की गई है। मामले की अगली सुनवाई अब 14 फरवरी को होगी।
बिलासपुर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव व गुंजन तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें बिलासपुर और रायपुर नगर में संचालित स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनियों के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई है। यह भी कहा गया है कि निर्वाचित नगर निगम के सभी अधिकारों और गतिविधियों को असंवैधानिक रूप से हासिल कर लिया गया है।
स्मार्ट सिटी कंपनी वही विकास कार्य कर रही है जो संविधान के तहत संचालित लोकतांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगम के अधीन है। पिछले 5 वर्षों में किए गए कार्यों की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम महापौर-महापौर-परिषद या महासभा से नहीं ली गई है।
स्मार्ट सिटी के वकीलों ने की स्थगन हटाने की मांग
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अजगप गोस्वामी और न्यायमूर्ति एनके चंद्रवंशी की खंडपीठ में हुई। इस दौरान स्मार्ट सिटी लिमिटेड के वकीलों ने याचिका पर दिए गए स्थगन आदेश को हटाने और अंतिम सुनवाई की मांग की. इस दौरान खंडपीठ ने नगर निगम की महासभा और मेयर-इन-काउंसिल से पूर्व में अपना पक्ष रखने को कहा था. लेकिन, उचित नोटिस जारी नहीं किया गया। इस पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है।
कंपनी निगम की अनुमति पर काम कर सकती है
केंद्र सरकार की ओर से इस याचिका के जवाब में माना गया कि ये स्मार्ट सिटी कंपनियां सिर्फ वही काम कर सकती हैं, जिनकी अनुमति नगर निगम से ली गई है. साथ ही इन कंपनियों के निदेशक मंडल में राज्य सरकार और नगर निगम के बराबर के प्रतिनिधि होने चाहिए। फिलहाल इन दोनों कंपनियों के 12 सदस्यीय निदेशक मंडल में नगर आयुक्त के अलावा नगर निगम का कोई प्रतिनिधि नहीं है. इसके विपरीत, स्मार्ट सिटी कंपनियों को अपने अधिकार क्षेत्र के लिए स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए तर्क दिया जा रहा है।