प्रमोद मिश्रा
नई दिल्ली, 28 जनवरी 2022
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण पर बड़ा फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसके पैमाने तय करने में दखलंदाजी से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, यह राज्यों को करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें रिजर्वेशन तय करने से पहले इसका डेटा इकट्ठा करें। अदालत ने कहा कि सरकारें समय-समय पर यह समीक्षा भी करें कि SC-ST को प्रमोशन में आरक्षण में सही प्रतिनिधित्व मिला है या नहीं। इस रिव्यू के लिए एक अवधि भी तय करनी चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा है कि 2006 के नागराज और 2018 के जरनैल सिंह मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट कोई नया पैमाना नहीं बना सकती है। केंद्र और राज्यों से जुड़े आरक्षण के मामलों में स्पष्टता पर सुनवाई 24 फरवरी से शुरू होगी।
आपको बता दे कि प्रोमोशन में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2021 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि ये सच है कि आजादी के 75 साल बाद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को अगड़ी जातियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया जा सका है।
2017 से अटका है प्रमोशन में आरक्षण का मुद्दा
केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी कि प्रमोशन में आरक्षण मामलों पर तत्काल सुनवाई की जाए। याचिकाकर्ता के मुताबिक कोर्ट में लंबित मामले की वजह से देश भर में लाखों पदों पर नियुक्तियां रुकी हुई हैं। राज्यों की तरफ से कोर्ट में ये दलील दी गई थी कि केंद्र सरकार के स्तर पर नियमित पदों के लिए प्रमोशन हुआ था लेकिन 2017 से ही देश भर में आरक्षित पदों पर प्रोमोशन की प्रक्रिया रुकी हुई है।