दीपक चौहान
कांकेर, 11 फरवरी 2022
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय ने गुरुवार को भूमकाल दिवस मनाया। बस्तर संभाग के कोने-कोने से पहुंचे हजारों की संख्या में आदिवासी कांकेर की सड़कों पर उतर आए। हाथों में बैनर और तख्ती लिए समुदाय के लोग नारेबाजी करते पूरे शहर में घूमे। बस्तर की समस्याओं के साथ नक्सल मुठभेड़ को लेकर उनके निशाने पर जवान और IG रहें। ग्रामीणों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर फर्जी मुठभेड़ में शामिल अफसरों व जवानों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह बड़ा आंदोलन करेंगे।
दरअसल, शहीद वीर गुंडाधुर के 112वें बलिदान दिवस पर बस्तर की समस्याओं को लेकर आदिवासी आंदोलनरत हैं। बसो, ट्रकों और अन्य वाहनों में भरकर बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग गुरुवार सुबह से ही गोविंदपुरा स्कूल में एकत्र होने लगे थे। वहां से छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज बैनर तले दोपहर करीब 1.30 बजे रैली की शुरुआत हुई। इस रैली में करीब दस हजार से अधिक ग्रामीण शामिल हुए। इसी के साथ सिंगारभाट से समाज की बाइक रैली भी निकली।
गोविंदपुरा मैदान से रैली नेशनल हाईवे और शहर के बीच से होते हुए मेला स्थल पर पहुंची। इसके पहले घड़ी चौक पर समाज प्रमुखों ने नव निर्मित भूमकाल महानायक वीर गुंडाधुर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद मेला भाटा में हुई सभा में समाज के वक्ताओं ने कहा अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं सुनती है तो आंदोलन तेज किया जाएगा। शाम 5 बजे तक सभा चली और फिर ग्रामीणों ने अपनी मांगों का एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल के नाम कलेक्टर को सौंपा।
क्या है आदिवासियों की मांग
■ सिरगेर हत्याकांड के दोषी जवानों और जिम्मेदार अफसरों को सजा दी जाए। पीड़ित परिवारों को 50-50 लाख रुपए मुआवला मिले।
■ तालमेटला, सारकेगुड़ा, एड्समेटा की मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए शामिल जवानों और बस्तर के तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी की सेवा समाप्त कर न्यायिक जांच की मांग।
■ कांकेर में अलग-अलग जगहों पर मुठभेड़ के नाम पर ग्रामीणों की हत्या का आरोप। नारायणपुर में बस्तर फाइटर की तैयारी कर रहे युवक को मार दिया। ऐसे फर्जी एनकाउंटर पर रोक लगे।
■ बस्तर अनुसूचित क्षेत्र में शामिल है, फिर भी बाहरी लोगों को नकली ग्राम सभा लगाकर गतिपिधियों की छूट दी जा रही है। इस पर रोक लगे।
बस्तर संभाग में 5वीं अनुसूची का पालन किया जाए।
■ जनगणना में बस्तर आदिवासियों को अलग से धर्म कोर्ड का कॉलम दें।
कोयलीबेड़ा क्षैत्र के 14 ग्राम पंचायतों की अनुसूचित जनलातियों को आरक्षण मिले। सामान्य सरपंच पद असंवैधानिक है।
■ प्रस्तावित बेचाघाट पुल निर्माण, सिताराम पर्यटन स्थल बंद किया जाए।
बस्तर क्षेत्र में अब ग्रामीणों की रैली शुरू हो गई है। पारंपरिक वाद्ययंत्र लिए आदिवासी पुरूष और महिलाएं रैली में शामिल हैं। ये सभी ग्रामीण जिला मुख्यालय पहुंच रहे हैं। वहां अपनी मांगों का पत्र देने के बाद जनसभा करेंगे। आदिवासियों की इस बड़ी रैली को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। खासकर जिला मुख्यालय छावनी में तब्दील हो गया है। प्रदर्शन में धुर नक्सल प्रभावित बेचाघाट में 65 दिनों से कैंप और पुल के विरोध में बैठे ग्रामीण भी शामिल हैं। इसे देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर है ।