नेशनल डेस्क
नई दिल्ली,09 जून 2022
भारत के अगले राष्ट्रपति के चुनाव की तारीख का एलान हो चुका है । नई दिल्ली में निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीख का एलान किया है । चुनाव आयोग ने बताया कि 15 जून को नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा । नॉमिनेशन की अंतिम तारीख 29 जून है । 30 जून को स्क्रूटनी की प्रक्रिया पूरी होगी । 2 जुलाई तक कैंडिडेट अपना नाम वापस ले सकते हैं । 18 जुलाई को मतदान की तारीख तय की गई है ।
भारत के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल अगले महीने (जुलाई) में खत्म हो रहा है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को पूरा हो रहा है, ऐसे में अगले राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए चुनाव आयोग आज तारीख का ऐलान करेगा। राष्ट्रपति चुनाव में संसद के दोनों सदनों (राज्य सभा और लोकसभा) के सदस्यों के अलावा सभी राज्य के विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ शासित प्रदेश पुडुचेरी के विधायक वोट डालते हैं। मनोनीत सदस्यों को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने का अधिकार नहीं है।
देश का पिछला राष्ट्रपति चुनाव जुलाई 2017 में हुआ था। चुनाव में एनडीए के रामनाथ कोविंद को जीत मिली थी। जिसके बाद 25 जुलाई 2017 को देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया था। आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भी संख्याबल को देखते हुए एनडीए के उम्मीदवार की जीत तकरबीन तय है।
ऐसे होता है राष्ट्रपति चुनाव
राष्ट्रपति का चुनाव आम चुनाव जैसा नहीं होता है। इसमें जनता सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लेती है, बल्कि जनता ने जिन विधायकों और सांसदों को चुना होता है, वो हिस्सा लेते हैं। विधायक और सांसद के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है। संविधान के अनुच्छेद-54 के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचन मंडल करता है। इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व आनुपातिक होता है। यानी, उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है, पर उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है।
ऐसे बनता है निर्वाचन मंडल
लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा के सदस्य मिल कर राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचन मंडल बनाते हैं। 776 सांसद (मनोनीत को छोड़कर) और विधानसभा के 4120 विधायकों से निर्वाचन मंडल बनता है। निर्वाचन मंडल का कुल मूल्य 10,98,803 है।
ऐसे तय होता है विधायकों के वोट का वेटेज
विधायकों के वोट का वेटेज राज्य की जनसंख्या और विधानसभा क्षेत्र की संख्या पर निर्भर करता है। वोट का वेटेज निकलने के लिए प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, इसके बाद जो नंबर आता है, उसे 1000 से भाग दिया जाता है। इस तरह यह उस राज्य के विधायक के एक वोट का वेटेज होता है। यदि भाग देने के बाद प्राप्त संख्या 500 से ज्यादा है तो इसमें 1 जोड़ दिया जाता है।
ऐसे होता है जीत-हार का फैसला
राष्ट्रपति चुनाव में ज्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। राष्ट्रपति वही बनता है, जो सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज्यादा हिस्सा हासिल करे। मान लीजिए राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो निर्वाचन मंडल होता है, उसके सदस्यों के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है। उम्मीदवार को 5,49,442 वोट हासिल करने होंगे। जो सबसे पहले यह नंबर हासिल करता है, उसे राष्ट्रपति चुन लिया जाता है।
इन्हें है वोट करने का अधिकार
संसद के दोनों सदनों (लोकसभा, राज्यसभा) के सदस्य
राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और संघ शासित प्रदेश पुडुचेरी के विधानसभा के सदस्य
ये नहीं डाल सकते हैं वोट
राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य
राज्यों के विधान परिषदों के सदस्य