16 Jun 2025, Mon 8:34:39 PM
Breaking

मदनवाड़ा नक्सली हमले की 13वीं बरसी : 13 साल पहले आज ही के दिन SP विनोद चौबे सहित 29 पुलिसकर्मी हुए थे वीरगति को प्राप्त, CM भूपेश बघेल ने दी श्रद्धांजलि

प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 12 जुलाई 2022

छत्तीसगढ़ में 12 जुलाई 2009 का दिन काले अध्याय के रूप में लिखा जाएगा । क्योंकि, इसी दिन नक्सलियों के हमले से एसपी विनोद चौबे सहित 29 पुलिसकर्मियों ने अपनी शहादत दी थी । नक्सलियों से लोहा लेने जब टीम रवाना हुई, तो लगभग 350 से अधिक की संख्या में नक्सलियों ने जवानों को घेरकर हमला कर दिया । इस घटना की गूंज आज भी कानों में सुनाया देती है क्योंकि यह पहली ऐसी घटना थी जिसमें एसपी लेवल के अधिकारी को नक्सलियों ने निशाना बनाया था । राजनांदगांव जिले के  कोरकोट्‌टी-मदनवाड़ा इलाके में बड़ा नक्सल हमला हुआ था। एसपी वीके चौबे भी इस घटना में शहीद हुए थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जवानों की वीरता को याद करते लिखा है कि

12 जुलाई 2009 को मदनवाड़ा के जंगलों में नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए पुलिस अधीक्षक स्व. विनोद चौबे जी एवं छत्तीसगढ़ की माटी के लिए नक्सलियों से लोहा लेते हुए उनकी टीम के शहीद पुलिस जवानों की शहादत को हम सब नमन करते हैं, श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

हम सबको आप पर गर्व है।

एसपी विनोद चौबे की जीवनी

पढ़ें   BJP के बड़े नेता का निधन : कैंसर की बीमारी से थे पीड़ित, उपमुख्यमंत्री की संभाली थी जिम्मेदारी

शहीद विनोद कुमार चौबे, एक था भारतीय पुलिस सेवा के 1998 बैच के अधिकारी थे । विनोद चौबे को मरणोपरांत शांतिकाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया । साथ ही मरणोपरांत कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया । यह पुरस्कार उनकी पत्नी रंजना चौबे को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दिया ।

चौबे ने पुलिस अधीक्षक, राजनांदगांव के रूप में तैनात होने से पहले बलरामपुर, रायपुर, सरगुजा और उत्तर बस्तर जिलों में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य किया। 2003 में जिला बलरामपुर में तैनात रहते हुए, उन्हें झारखंड की सीमा से लगे बलरामपुर में माओवादियों ने गोली मारकर घायल कर दिया था। बाद में, कांकेर के एसपी के रूप में, वह राज्य के आदिवासी बस्तर क्षेत्र में एक नक्सली हमले से बच गए। उन्होंने २००३ में विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पदक प्राप्त किया। चौबे को २००८ में रायपुर और भिलाई शहरों में एक नक्सल शहरी नेटवर्क का पता लगाने के लिए जाना जाता है, जिसके कारण कई गिरफ्तारियां और हथियारों की जब्ती हुई। इन कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप यह दावा किया जाता है कि उन्हें एक बार विद्रोहियों द्वारा एक बड़ा खतरा माना जाता था और इस प्रकार एक सर्वोच्च प्राथमिकता लक्ष्य था। वह छत्तीसगढ़ राज्य में भारतीय पुलिस सेवा के एकमात्र अधिकारी हैं जिन्होंने नक्सली हिंसा में अपनी जान गंवाई है।

 

Share

 

 

 

 

 

You Missed