प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 20 सितंबर 2022
छत्तीसगढ़ में बीते रविवार को व्यापमं ने CGTET की परीक्षा आयोजित की । शायद यह ऐसा पहला मौका था जब राज्य में होने वाले किसी परीक्षा में सबसे ज्यादा परीक्षार्थियों ने पहले फॉर्म जमा किया, फिर परीक्षा दिलाई । वहीं CGTET के एग्जाम के लिए प्रदेश में कुल 1336 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, जिसमें 7 लाख 80 हज़ार 965 परीक्षार्थियों को परीक्षा देने की व्यवस्था की गई थी । परीक्षा के लिए व्यापमं ने कुल 12 करोड़ रुपये खर्च कर डाले, लेकिन इस परीक्षा में 2 लाख 31 हज़ार 323 परीक्षार्थियों ने परीक्षा नहीं दिलाया । यानी व्यापमं को अनुपस्थित परीक्षार्थियों के लिए की गई व्यवस्था में 3 करोड़ 56 लाख 23 हज़ार 742 रुपये खर्च हो गए(सूत्र से मिली जानकारी अनुसार) । यह परीक्षा आयोजन से लेकर परीक्षा के संपादन और परिणाम जारी करने तक के हैं ।
किसको कितना मानदेय?
परीक्षा केन्द्रों की संख्या के अनुसार प्रत्येक केन्द्र में व्यापमं ने 1-1 आब्जर्वर और 25 परीक्षार्थियों के पीछे 1 परीक्षक की नियुक्ति की थी। यानी 1336 परीक्षा केन्द्रों में 1336 आब्जर्वर और 31238 परीक्षकों को नियुक्त किया था। प्रत्येक आब्जर्वरों को 600 और प्रत्येक परीक्षकों को 400 रुपए मानदेय एक परीक्षा के लिए दिया जाता है। व्यापमं की परीक्षाएं दो पालियों में आयोजित की गई थी, इस नाते आब्जर्वरों और परीक्षकों को दो गुना पारिश्रमिक का भुगतान किया गया।
क्या है प्रमुख वजह?
दरअसल, राज्य सरकार ने कुछ महीने पहले ही घोषणा की है कि अब व्यापमं और छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के परीक्षाओं में फॉर्म जमा करने के लिए पैसे की आवश्यकता नहीं है । ऐसे में इस बार CGTET के एग्जाम में जमकर फॉर्म भरे गए । फॉर्म भरने के बाद जब परीक्षार्थियों के एडमिट कार्ड में सेंटर दूर-दराज दिखे, तो परीक्षार्थियों ने पेपर दिलाना मुनासिब नहीं समझा । इस कारण इतनी बड़ी तादाद में परीक्षार्थी एग्जाम से अनुपस्थित रहे । एक और बड़ा कारण यह भी रहा कि CGTET एग्जाम के लिए बीएड या डीएड की अनिवार्यता नहीं रखी गई, जिसके कारण भी फॉर्म काफी अधिक संख्या में आये ।