नेशनल डेस्क
नई दिल्ली, 28 सितंबर 2022
आखिरकार केंद्र में बैठी नरेंद्र मोदी की सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी गजट नोटिफिकेशन में पीएफआई को गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब पीएफआई किसी प्रकार की गतिवधि को अंजाम नहीं दे सकता है। वह ना कोई कार्यक्रम आयोजित कर सकता है, न तो उसका कोई दफ्तर होगा, न वो कोई सदस्यता अभियान चला सकता है और न ही वह फंडिंग ले सकता है। केंद्र सरकार की यह कार्रवाई उसकी पिछले दिनों की सख्ती के मुताबिक ही है। अब तक के सबसे बड़े अभियान में पीएफआई के खिलाफ दो बार देशव्यापी छापेमारी हो चुकी है। इन छापेमारियों में संगठन के बड़े-बड़े नेता गिरफ्तार किए गए हैं। देश के 8 राज्यों में मंगलवार को भी पीएफआई के करीब 25 ठिकानों पर छापे पड़े थे और दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया था।
नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई ने समाज के विभिन्न वर्गों जैसे युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलो या समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से अपने सहयोगी संगठनों या सम्बद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों की स्थापना की है। इसका एकमात्र उद्देश्य इसकी सदस्यता, प्रभाव और फंड जुटाने की क्षमता बढ़ाना है।
पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्ताएं या अग्रणी संगठन सार्वजनिक तौर पर एक सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक संगठन के रूप में कार्य करते हैं। हालांकि, ये गुप्त एजेंडे के तहत समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने की दिशा में कार्य करते हैं तथा देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं।
पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाएं या अग्रणी संगठन गैर-कानूनी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ है। इससे शांति और सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है।
15 राज्यों में एक्टिव है PFI
पीएफआई अभी दिल्ली, आंध्र,प्रदेश, असम, बिहार, केरल, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा, तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्य प्रदेश में एक्टिव है