राजेन्द्र कुमार
किशनगढ़ के ग्राउंड रिपोर्ट, 27 नवंबर 2022
छत्तीसगढ के महासमुंद जिले के पिथौरा विकास खण्ड अंतर्गत ग्राम किशनपुर में स्थित स्वप्रकट शिवलिंग लिंगेश्वर महादेव लोगों का आस्था का केंद्र बना हुआ है । यहां पर स्वप्रकट शिवलिंग का दर्शन एवं जलाभिषेक करने के लिए प्रति दिन कई हजार शिव भक्त पहुंच रहे हैं ।
खेत में एक पेड़ के नीचे प्रकट हुए है शिवलिंग
जब हमारी टीम इस चामत्कारिक कहानी का सच जानने पहुंची, तो ग्राम किशनपुर के लोगों ने कहा कि लिंगराज बारीक के खेत में एक पेड़ के नीचे शिवलिंग प्रकट हुए है यह बात गांव के ही शौकीलाल सेठ को सपने में पता चला तभी शौकीलाल सेठ ने दिनांक 28 जूलाई 2022 को हरीयाली अमावस्या के दिन उस खेत में जाकर उसी पेड के नीचे पूजा पाठ करने के लिए साफ सफाई किया तभी वहां शिवलिंग आकार का एक काला पत्थर दिखाई दिया, शौकीलाल सेठ ने उस पत्थर का पूजा-अर्चना कर अपने घर वापस आकर ग्रामीणों को इस घटना की जानकारी दी इसके बाद धीरे-धीरे ग्रामीण वहां पहुचने लगे और भीड बडते गया तथा लोग स्वप्रकट शिवलिंग का पूजा आरती, जलाभिषेक करने लगे, शिव भक्तों का मानना है कि स्वप्रकट शिवलिंग लिंगेश्वर महादेव का पूजा करने से मांगी मुराद पूरी होने लगी है तब से यहां प्रत्येक दिन हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ लगती है ।
कैसे पड़ा लिंगेश्वर महादेव नाम?
लिंगराज बारीक के खेत में महादेव प्रकट हुए है इसलिए उक्त स्वप्रकट शिवलिंग का नाम यहां के ग्रामीणों ने एकराय हो कर लिंगेश्वर महादेव रखा।
दर्शन हेतु भक्तों की भारी भीड़
छत्तीसगढ के लगभग सभी जिलों के साथ-साथ अन्य राज्य ओडिसा, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश से भी लोग दर्शन करने पहुच रहे हैं भक्तों कि भारी भीड़ तो सभी दिन रहता है । लेकिन, सोमवार को भीड कई गुना बड जाती है लगभग दो किलोमीटर कि लंबी लाइन के कतार में लोग कई घंटे खडे होकर अपनी अपनी बारी का इंतजार कर दर्शन करते है ।
क्या है मान्यता?
यहां के लोगों का कहना है कि जब उन्होंने शिवलिंग के पास के मिट्टी को अपने दर्द वाले जगह में लगाया, तो उनका दर्द तुरंत ठीक हो गया । ग्रामीणों का कहना है कि यहाँ की मिट्टी को दर्द वाले जगह में लगाने से दर्द से छुटकारा मिल जाता है ।