प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 08 दिसंबर 2022
छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक को विधानसभा के सदन से पारित हुए 6 दिन बीतने को है लेकिन अभी तक राज्यपाल ने इस आरक्षण संशोधन विधेयक पर अपने हस्ताक्षर नहीं किए हैं । ऐसे में तमाम तरह की अटकलों का दौर भी शुरू हो चुका है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आज इस मसले पर बयान दिया है ।
आपको बताते चलें कि कुछ दिन पहले ही प्रदेश के कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने बयान दिया था और कहा था कि राज्यपाल का हस्ताक्षर नहीं होना, उनको चिंतित करता है । आपको बताते चलें कि सदन में सर्वसम्मति से 2 दिसंबर को ही आरक्षण संशोधन विधेयक पारित हो गया था । उसके बाद पांच मंत्रियों ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात कर आरक्षण संशोधन विधेयक उनको(राज्यपाल) सौंपा था ।
माना जा रहा था कि आरक्षण संशोधन विधेयक पर एक दिन में ही राज्यपाल का हस्ताक्षर हो जाएगा लेकिन अब 6 दिन बीतने को है । लेकिन, अभी तक राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं । जानकारों का मानना है कि राज्यपाल का अगर हस्ताक्षर हो भी जाएगा बावजूद इसके यह मामला कोर्ट में चला जाएगा और हो सकता है कि इस आरक्षण संशोधन विधेयक पर एक बार फिर कोर्ट स्टे लगा दे ।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
पत्रकारों ने राजभवन के कोर्ट वाली शंका पर सीएम से भी सवाल किए। सीएम बघेल ने कहा ” राज्यपाल जी…राजभवन से जो बयान आया था.. हम लोग तो उसी को मानेंगे.. जैसे विधानसभा प्रस्ताव पारित होगा तत्काल हस्ताक्षर किया जाएगा लेकिन अभी तक तो नहीं हुआ है। किसी को कोर्ट जाने से रोका जा सकता है क्या ? कोर्ट में क्या फ़ैसला होगा इसका पहले से कोई कैसे अनुमान लगा सकता है। अभी से कुछ कहना तो.. लेकिन जिस हिसाब से राज्यपाल महोदया ने जो बयान दिया था, कि तत्काल होगा और जिस प्रकार से रुक रहा है तो ये किस प्रकार के संकेत हैं समझा जा सकता है। ”
आरक्षण संशोधन विधेयक का विरोध भी
छत्तीसगढ़ में आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर सवर्ण समाज लगातार प्रदर्शन कर रहा है । प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर में युवा वर्ग लगातार इस आरक्षण संशोधन विधेयक का विरोध कर रहा है । आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर सवर्ण समाज के युवाओं का कहना है कि जब पूरे देश में 10 प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लोगों के लिए रखा गया है, तो छत्तीसगढ़ में 4% क्यों किया जा रहा है । युवाओं का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही साफ कर दिया है कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं हो सकता, फिर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण की आवश्यकता क्यों पड़ रही है?
नए आरक्षण संशोधन विधेयक में क्या?
छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदन में 02 दिसंबर 2022 को सर्वसम्मति से पारित हुए आरक्षण संशोधन विधेयक में एसटी वर्ग को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग(OBC) को 27 प्रतिशत, एसटी वर्ग को 13 प्रतिशत और सवर्ण समाज के गरीब तबके को 4 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा । इस प्रकार कुल 76 प्रतिशत आरक्षण नए आरक्षण संशोधन विधयेक के हिसाब से मिलेगा ।
राज्यपाल को क्या है अधिकार?
संविधान के अनुच्छेद 200 के अनुसार राज्यों की विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी के लिए राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करना होता है। राज्यपाल इस पर अपनी सहमति या अनुमति दे सकता है। इसे अस्वीकृत कर सकता है अथवा राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को सुरक्षित रख सकता है।
विपक्ष ने सत्तापक्ष पर बोला हमला
प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व पूर्व संसदीय कार्य मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा है कि कांग्रेस आरक्षण के मामले में निम्न स्तरीय राजनीति कर रही है। बेतुके आरोप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेसी बिना वजह चिंता जता रहे हैं। कांग्रेस सरकार ने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जो विधेयक लाया है, उसका संवैधानिक परीक्षण आवश्यक है। राज्यपाल यदि यह चाहती हैं कि आरक्षण कानूनी पेचीदगियों में न फंसे तो इसमें कांग्रेस को क्या तकलीफ है? क्या कांग्रेस यही चाहती है कि पहले वह जिस तरह आदिवासी और ओबीसी का हक छिनवाती रही है, वैसा ही अब भी हो। राजभवन का उद्देश्य पवित्र है।