ऐसे में कैसे सुधरेगा पढ़ाई का स्तर? : प्रशिक्षितों को दरकिनार कर अप्रशिक्षितों को दी गई नियुक्ति, कसडोल विकासखंड में स्कूल शिक्षा विभाग में हुई नियुक्ति को लेकर कई सवाल, क्या DMF फंड का हो रहा बंदरबांट?

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प्रमोद मिश्रा

बलौदाबाजार/रायपुर, 30 दिसंबर 2022

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड में शिक्षकों की कमी से जूझ रहे विद्यालयों में स्कूली बच्चों की समस्या को देखते हुए DMF फंड से अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है । लेकिन, शायद कसडोल विकासखण्ड के शिक्षा अधिकारी आर एल जायसवाल इस नियुक्ति को लेकर संजीदा नहीं है । ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस भर्ती में ज्यादातर अप्रशिक्षितों की नियुक्ति की जा रही है । इन अप्रशिक्षितों में ज्यादातर अतिथि शिक्षकों ने डीएड और बीएड का प्रशिक्षण ही नहीं लिया है।  सबसे बड़ी और दिलचस्प बात यह भी है कि जिन 101 अतिथि शिक्षकों की भर्ती DMF फण्ड से ली जा रही है, उनमें कई अतिथि शिक्षक, हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल के भी है । ऐसे में अगर परीक्षा के दौरान ऐसे अतिथि शिक्षकों के हाथों में छात्रों को पढ़ाई करवाने की जिम्मेदारी दी जाएगी, तो भला अप्रशिक्षित अतिथि शिक्षक प्रशिक्षित शिक्षकों से बेहतर ज्ञान कैसे दे पाएंगे?

 

 

DMF फंड का बंदरबांट! : शिक्षा विभाग में प्रशिक्षितों को दरकिनार कर दी अप्रशिक्षितों की नियुक्ति, कसडोल BEO बोले – ‘CM साहब आने वाले थे…कोई शिकायत न हो..इसलिए आनन-फानन में की गई नियुक्ति’

DMF फंड का बंदरबांट! : शिक्षा विभाग में प्रशिक्षितों को दरकिनार कर दी अप्रशिक्षितों की नियुक्ति, कसडोल BEO बोले – ‘CM साहब आने वाले थे…कोई शिकायत न हो..इसलिए आनन-फानन में की गई नियुक्ति’

 

नियुक्ति पर कई सवाल

आपको बताते चले कि DMF फंड से होने वाले अतिथि शिक्षकों की भर्ती में न तो आवेदन निकाले गए या निकाले जा हे, न ही किसी प्रकार की सूचना डीएड और बीएड प्रशिक्षितों को मिल पा रही है । जब नियुक्ति होकर अतिथि शिक्षक स्कूलों में अपनी सेवाएं देने पहुंच रहे हैं, तब जाकर बाकियो को पता चल रहा की अमुख व्यक्ति का उस अमुख स्कूल में नियुक्ति हो गया है।  ऐसे में जिस प्रकार बहुत गुपचुप तरीके से नियुक्ति ली जा रही उसको लेकर भी कई प्रकार के सवाल पैदा हो रहे हैं । सवाल यह है कि अगर नियुक्ति बिना आवेदन दिलवाए और बिना किसी को सूचना दिए हो जाएगा, तो योग्य अभ्यर्थी और डिग्री धारी अभ्यर्थियों को मौका कैस मिल पायेगा ।

क्या बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं?

क्लास पहली से लेकर बारहवीं तक मे बच्चों के परीक्षा का समय ज्यादा दिन नहीं बचा है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या स्कूली बच्चे जो अपना भविष्य गढ़ने स्कूलों में जाते हैं, तो अप्रशिक्षित अतिथि शिक्षक अगर उनको ज्ञान देते हैं,  तो फिर बच्चे अपने मुख्य परीक्षा के लिए कैसे तैयार हो पाएंगे?

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अधिकारियों ने क्या कहा?

जब इस विषय में हमने जिले के शिक्षा अधिकारी सी एस ध्रुव से इस बारे में जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने कसडोल बीईओ को निर्देशित किया । कसडोल बीईओ राधे लाल जायसवाल ने जानकारी देते बताया कि अभी-अभी ट्रांसफर होने से कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी थी, ऐसे में उनकी पूर्ति के लिए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति DMF फंड से की गई है । बीईओ जायसवाल ने जो आगे कहा वो और भी दिलचस्प है । दरअसल, विकासखंड के शिक्षा अधिकारी राधे लाल जायसवाल का कहना था कि सीएम साहब का दौरा होने वाला था…इसलिए कोई शिकायत न हो करके जल्दबाजी में धड़ा-धड़ नियुक्ति की गई, जिससे सीएम साहब के पास कोई शिकायत न हो..। अब बीईओ के इस बयान के बाद सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ सीएम के दौरे को देखते हुए ऐसे किसी भी नियुक्ति कर दी जाएगी? क्या किसी भी नियम को शिक्षा जैसे प्रमुख विभाग में नियुक्ति पर दरकिनार कर दिया जाएगा? क्या डीएड और बीएड जैसे प्रशिक्षित युवाओं को दरकिनार कर अप्रशिक्षितों की नियुक्ति कर देना जायज है? जब डीएड और बीएड के प्रशिक्षित युवा बेरोजगार बैठे है, तो क्या उनको पहले प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए?

ये सब प्रश्नों का जवाब जब MEDIA24 न्यूज़ ने जिम्मेदार अधिकारी बीईओ से जानना चाहा, तो उनका कहना था कि हम सिर्फ यहीं चाहते थे कि सीएम साहब से कोई शिकायत न हो इसलिए नियुक्ति जल्दी की गई, अगली बार जुलाई में बकायदा विज्ञापन निकालकर नियुक्ति ली जाएगी । अब उनके बयान को देखा जाए तो क्या यह माना जाए कि अभी से लेकर परीक्षा होने तक, नॉन बीएड और डीएड धारी अतिथि शिक्षक बच्चों के भविष्य को सुधारने का काम करेंगे । सवाल और भी गंभीर हो जाता है, जब बीईओ कहते हैं कि प्रशिक्षितों युवा नहीं मिले इसलिए अप्रशिक्षितों की नियुक्ति कर दी गई । आप जब विज्ञापन जारी करेंगे नहीं, कोई आवेदन आएगा नहीं, तो आपको कैसे पता चल जाएगा कि प्रशिक्षित अभ्यर्थी मिले नहीं ।

प्राइवेट स्कूलों में भी प्रशिक्षित युवा अनिवार्य

जानकारी के मुताबिक जब प्राइवेट स्कूलों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती ली जाती है, तब भी स्कूल शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों के संचालकों को बकायदा निर्देश जारी करते हैं कि सिर्फ बीएड और डीएड शिक्षकों को ही बतौर शिक्षक लिया जाए ।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब प्राइवेट स्कूल में बीएड और डीएड प्रशिक्षित युवाओं की नियुक्ति करना है, तो सरकारी विद्यालयों में यह नियम लागू क्यों नहीं हो रहा है? क्या यह सीधे नियम का उल्लंघन नहीं है?

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कितने की हुई नियुक्ति?

आपको बता दे कसडोल विकासखंड में अब तक 101 अतिथि शिक्षकों(DMF फंड से) की नियुक्ति हुई है । जानकारी के मुताबिक बहुत सारे अतिथि शिक्षक जिनकी नियुक्ति हुई है, वो अप्रशिक्षित(डीएड और बीएड कोर्स नहीं किये) हैं । ऐसे में जिस हिसाब से गुपचुप तरीके से नियुक्ति हुई है, वो कई सवाल पैदा कर रहा है । सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अपने चहेतों की नियुक्ति करने के लिए सारे नियम दरकिनार किये गए? क्योंकि जिस प्रकार गुपचुप तरीके से नियुक्ति हुई, उससे यहीं सवाल पैदा हो रहा कि कहीं अपने चहेतों की नियुक्ति के लिए नियम की धज्जियां तो नहीं उड़ा दी गई ।

 

आंकड़े क्या?

छत्तीसगढ़ में बीएड और डीएड प्रशिक्षितों की संख्या काफी ज्यादा है । जब हमने बीएड-डीएड प्रशिक्षित संघ के एक युवा से बात की तो उन्होंने बताया कि कसडोल विकासखंड में ही लगभग 4 से 5 हज़ार की संख्या में डीएड और बीएड प्रशिक्षित युवा आपको मिल जाएंगे ।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह युवा सिर्फ अपनी डिग्री अपने पास रखेंगे और कसडोल विकासखंड में अप्रशिक्षितों को नियुक्ति मिल जाएगी ।

क्या होता है DMF(District Mineral Foundation) फण्ड?

जिला खनिज फाउंडेशन(DMF) गैर-लाभकारी स्वायत्त ट्रस्ट है, जो खनन संबंधी संचालन से प्रभावित प्रत्येक ज़िले के समुदायों के हितों की रक्षा करता है और उन क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को लाभ पहुँचाने का कार्य करता है ।

DMF की प्रमुख बातें

■ DMF की स्थापना खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) (MMDR) संशोधन अधिनियम 2015 के तहत की गई थी।

■ वे खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करने के लिए गैर-लाभकारी ट्रस्ट हैं ।

■ उद्देश्य-खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित के लिए इस प्रकार कार्य करना कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

■ क्षेत्राधिकार : इसका संचालन करने का तरीका संबंधित राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।

 

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