15 May 2025, Thu 9:20:10 PM
Breaking

20 रुपये के बीज, 10 में बेचने की मजबूरी: 15 दिन बचे, लेकिन नहीं शुरू हुई सरकारी खरीदी, बिचौलियों कर रहे कमाई

प्रमोद मिश्रा, 1 जून 2023

छत्तीसगढ़ के प्रमुख वनोपज में से एक साल के बीज संग्रह का सही दाम ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। जंगल की तमाम कठिनाइयों और जद्दोजहद कर संग्रह किए गए इन बीजों को ग्रामीण व्यापारियों व बिचौलियों को 10 से 15 रुपये में बेचने को मजबूर हैं। इसका बड़ा कारण सरकारी खरीद का अब तक शुरू नहीं होना है। जबकि खरीदी की तय तारीख खत्म होने में महज 15 दिन ही बाकी रह गए हैं। खास बात यह है कि सरकार की ओर से बीज का दाम 18 से 20 रुपये तय किया गया है। ऐसे में बिचौलिए कमा रहे हैं और ग्रामीण ठगी का शिकार बन रहे हैं।

वनवासियों के आय के मुख्य स्त्रोतों में वन उत्पाद का महत्वपूर्ण योगदान है। जंगल में ऐसे कई उत्पाद हैं, जिसका उचित दोहन वनवासियों के जीवन को मुख्यधारा में लाने का काम करता है। जंगल से निकलने वाले वनोपज चिरौंजी, हर्रा- बहेरा, गोंद, सरई के बीज वनवासी एकत्र करते हैं। फिर इसे तय दरों पर वनोपज संघ खरीदता है। इन दिनों जंगल में साल सरर्ई के बीच बड़ी मात्रा में गिर रहे हैं। वनवासी इन्हें एकत्र कर, सुखाने और दलने का जतन पूरा कर चुके हैं, लेकिन सरकारी खरीद अभी तक शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में तैयार हो चुके इन बीजों को वनवासी बिचौलियों को बेच रहे हैं।

 

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में साल के वृक्षों से लाल और हल्के पीले रंग के फूल झड़ रहे हैं, जिसे वनवासी और संग्रहक सुबह से बीन कर एकत्र करते हैं। फिर बीज विक्रय के योग्य तैयार कर चुके है। जिले में इस बार विभाग ने 6000 क्विंटल साल बीज खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसकी खरीदी 15 मई से 15 जून तक करनी थी, पर संघ अभी तक खरीदी शुरू नहीं कर सका है। इसके लिए एमएसपी ग्रेड ए की खरीदी 20 रुपये प्रति किलो जबकि ग्रेड-बी की खरीदी 18 रुपये प्रति किलो की दर से होनी थी।

पढ़ें   'ईडी बहुत परेशान कर रही': सांसद फूलोदेवी नेताम बोलीं- जहां कांग्रेस की सरकार, वहां बदले की भावना से कर रही काम

Share

 

 

 

 

 

By Desk

You Missed