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जगदलपुर: ‘छप्पन भोग’ में वर्चुअली शामिल हुए सीएम,बोले- संस्कृतियों के संगम का अनुपम उदाहरण है गोंचा महापर्व

प्रमोद मिश्रा, 26 जून 2023

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोंचा जैसे महापर्व को प्रदेश का गौरव बढ़़ाने वाला महापर्व बताया। मुख्यमंत्री ने बस्तर में 6 सौ वर्षों से भी पूर्व से मनाए जा रहे गोंचा महापर्व में रविवार को सिरहासार में बनाए गए गोंचा गुड़ी में आयोजित छप्पन भोग और आरती कार्यक्रम में रायपुर से वर्चुअली शामिल हुए और कहा कि बस्तर का दशहरा और गोंचा पर्व बहुत ही अनूठा है, जो विभिन्न संस्कृतियों के संगम का अनुपम उदाहरण है। इन पर्वों से बस्तर और छत्तीसगढ़ को जाना जाता है। उन्होंने इस अवसर पर बस्तर के इतिहास को समृद्ध बताते हुए यहां के संस्कृति को निराली बताया। उन्होंने कहा कि बस्तर के संस्कृति को समझने के लिए बस्तर को जीना जरुरी है, क्योंकि तभी इसका आनंद लिया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोंचा महापर्व का इतिहास 616 वर्षों से भी पुराना है। यह 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के बस्तर आने के इतिहास से जुड़ा हुआ है। ओड़िसा का गुड़िंचा पर्व बस्तर में आकर गोंचा पर्व हो गया। ओड़िसा के ब्राह्मण बस्तर में आकर आरण्यक हो गए। गोंचा और 360 घर ब्राह्मण समाज की बस्तर ही स्थायी पहचान है। बस्तर में जिस अंदाज से गोंचा पर्व मनाया जाता है, वह अंदाज बड़ा ही अनूठा है। भगवान जिस रथ में भ्रमण करते हैं, वह भी बड़ा ही अनूठा है। भगवान को जिस तुपकी से सलामी दी जाती है, वह तुपकी भी अनूठी है, उस तुपकी में इस्तेमाल किए जाने वाली गोली यानी फल भी अनूठा है। बड़ा ही अनूठा दृश्य होता है, जब भगवान यात्रा पर निकलते हैं और चारों तरफ तुपकी की आवाज गूंज रही होती है। बस्तर के गांव और शहर के लोग, बस्तर के आदिवासी, भगवान के साथ-साथ चल रहे होते हैं।

 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जब छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बचाने की बात कहता हूं, तो प्रदेश की इसी समरसता और सरसता को बचाए रखने की बात कहता हूं। हमारी संस्कृति और परंपराओं से पूरी दुनिया को अवगत कराने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की शुरुआत की गई है। अपनी खेल संस्कृति को बचाए रखने के लिए हमने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन की शुरुआत की है।


सीएम ने कहा कि राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के माध्यम से हम उत्तर से लेकर दक्षिण तक भगवान राम के वनवास से जुड़े स्थलों को चिन्हित करके उन्हें पर्यटन तीर्थों के रूप में विकसित कर रहे हैं। इनमें जगदलपुर और सुकमा जिले का रामाराम भी शामिल है। हमने चंदखुरी में कौशल्या महोत्सव के आयोजन की शुरुआत की है। हाल ही में हमने रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया। इसमें विदेशों की रामलीला मंडलियों ने भी भाग लिया। बस्तर का दशहरा और यहां का यह गोंचा पर्व पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। छत्तीसगढ़ की ऐसी ही परंपराएं हमें गौरवान्वित करती हैं, पूरी दुनिया में हमारा मान-सम्मान बढ़ाती हैं, साथ ही हमें अलग पहचान देती हैं।

सामाजिक भवन हेतु दिए गए पट्टे
इस अवसर पर चडार बुनकर समाज, मां छिंदवाली श्री महाकाली सेवा समिति, कान्यकुब्ज वैश्य भुंजवा समाज, क्षत्रिय महासभा समाज को सामाजिक भवन निर्माण हेतु आवंटित भूमि का पट्टा प्रदान किया गया। भवन निर्माण हेतु मुख्यमंत्री द्वारा 50 लाख रुपए प्रदान करने पर आरण्यक ब्राह्मण समाज ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया। वहीं समाज प्रमुखों द्वारा भी भूमि का पट्टा प्रदान करने पर मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताया।

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