प्रमोद मिश्रा, 15जुलाई 2023
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि विवाह से पहले, विवाह या विदाई या फिर उसके बाद महिला को उपहार में दी गई संपत्तियां स्त्रीधन है। वह अपनी खुशी के लिए उसे खर्च करने का पूर्णत: अधिकार रखती है। पति अपने संकट के समय इसका उपयोग कर सकता है, लेकिन फिर भी उसका नैतिक दायित्व है कि वह अपनी पत्नी को उसका मूल्य या संपत्ति लौटाए। स्त्रीधन संयुक्त संपत्ति नहीं बन सकता। कुटुंब न्यायालय के एक मामले में लिए गए निर्णय को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ (लार्जर बेंच) ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। वहीं अब यह न्याय दृष्टांत बन गया है।
परिवार न्यायालय अंबिकापुर के फैसले को 23 दिसंबर 2021 को सरगुजा जिले के लुंड्रा थाना निवासी बाबूलाल यादव ने अपने अधिवक्ता के जरिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने धारा 27 का हवाला देते हुए बताया कि स्त्रीधन वापसी के लिए स्वतंत्र आवेदन जमा करने की अब तक व्यवस्था नहीं है। याचिकाकर्ता ने स्वतंत्र आवेदन के जरिए दिए गए फैसले पर आपत्ति जताते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी। परिवार न्यायालय अंबिकापुर में याचिकाकर्ता की पत्नी ने दहेज के अलावा परिचितों व स्वजन द्वारा उपहार में दी गई संपत्ति को वापस दिलाने की मांग की थी। इस पर परिवार न्यायालय ने संपत्ति वापस करने के निर्देश दिए थे।