16 Jun 2025, Mon 2:35:13 PM
Breaking

वन नेशन वन इलेक्शन’ पर 8 सदस्यीय कमेटी का एलान, गृह मंत्री अमित शाह सहित ये लोग शामिल

प्रमोद मिश्रा

3 सितंबर 2023

सरकार ने देश में ‘वन नेशन वन इलेक्शन'(One Nation One Election) लागू करने की संभावना पर 8 सदस्यीय कमेटी के सदस्यों के नामों का एलान कर दिया है. इस कमेटी में सरकार और विपक्ष के नेताओं सहित कई जानकार लोगों को शामिल किया गया है. कमेटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद करेंगे और इसमें गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह सदस्य होंगे.

पैनल, जो तुरंत काम करना शुरू कर देगा और जल्द से जल्द सिफारिशें करेगा, इसमें पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व चीफ विजिलेंस ऑफिसर संजय कोठारी भी सदस्य होंगे. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में भाग लेंगे, जबकि कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा पैनल के सचिव होंगे.

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाए जाएं, जिसमें लोक सभा और राज्यों की विधानसभाएं शामिल हैं. भारत में जब मौजूदा सरकार का कार्यकाल समाप्त हो जाता है या वह किसी कारण से भंग हो जाती है, तो लोक सभा और राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से एक राष्ट्र एक चुनाव के विचार की वकालत करते रहे हैं. यह मुद्दा 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में से एक था.
समर्थन में क्या हैं तथ्य
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के समर्थन में सबसे बड़ा तर्क यह दिया जाता है कि एक बार इसके लागू होने के बाद चुनावी प्रक्रिया पर होने वाले कुल खर्च में कमी आएगी. देश में अलग-अलग समय पर चुनाव होने से चुनाव लड़ने वाली पार्टियों और चुनाव आयोग का खर्चा बढ़ जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनावों में 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के पक्ष में एक और तर्क यह है कि इससे अधिक कुशल प्रशासन को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि चुनावों के दौरान पूरी राज्य मशीनरी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया आयोजित करने पर ध्यान केंद्रित करती है, जिसका असर रोजमर्रा के प्रशासनिक कार्यो पर पड़ता है क्योंकि अधिकारी चुनाव की ड्यूटी में लगे होते हैं. यह भी कहा जाता है कि एक साथ चुनाव होने से वोटिंग में बढ़ोतरी होने की संभावना है, जिससे मतदाताओं के लिए एक ही बार में मतदान करना सुविधाजनक हो जाएगा.

Share
पढ़ें   कपिल सिब्बल बने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, चौथी बार जीता चुनाव

 

 

 

 

 

By Desk

You Missed