प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 25 सितंबर 2024
कोल घोटाले में आरोपी सौम्या चौरसिया को सशर्त जमानत मिल गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या चौरसिया की जमानत को मंजूर किया किया है। कोयला घोटाला और मनी लांड्रिंग केस में सौम्या को साल 2022 में गिरफ्तार किया गया था। करीब 21 महीने के बाद उन्हें जमानत मिली है। आपको बता दें कि कोल लेवी केस में सौम्या चौरसिया के खिलाफ ED ने कार्रवाई की थी।
जानकारी के मुताबिक जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई कड़ी शर्तें लगाई हैं। इनमें प्रमुख शर्तों में सौम्या को छत्तीसगढ़ सरकार बहाल ना करे, सौम्या गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगी। ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होती रहेंगी। पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट के पास जमा रहेगा, बिना कोर्ट की अनुमति के देश नहीं छोड़ेंगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव रही सौम्या चौरसिया अभी कोर्ट के निर्देश पर रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। साल 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी 42 वर्षीय सौम्या चौरसिया को भूपेश कार्यकाल में काफी पावरफुल अफसर माना जाता था। मुख्यमंत्री पद की शपथ के तीसरे ही दिन सौम्या चौरसिया को मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्ति दी गयी थी।
अभी भी जेल में रहना पड़ेगा
आपको बताते चलें कि ईओडब्ल्यू ने सौम्या पर आया से अधिक संपत्ति का केस रजिस्टर्ड किया है, इसके चलते सौम्या को जेल में ही रहना पड़ेगा । दरअसल, 2008 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी चौरसिया के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि चौरसिया को अक्टूबर 2022 तक वेतन और अन्य भत्ते के रूप में लगभग 85.50 लाख रुपये मिले, जबकि उन्होंने कथित तौर पर अपने परिवार के सदस्यों और परिचितों के नाम पर 29 अचल संपत्तियां अर्जित की हैं, जिनकी कीमत लगभग 9.22 करोड़ रुपये है।
कथित कोयला लेवी घोटाले में धन शोधन की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल जुलाई में साहू को गिरफ्तार किया था। मुख्यमंत्री कार्यालय में तत्कालीन उप सचिव चौरसिया को दिसंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था, जबकि विश्नोई को अक्टूबर 2022 में कोयला लेवी मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था। तब से तीनों जेल में हैं। ईडी द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया था। प्राथमिकी में उल्लेख किया गया है कि वरिष्ठ नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनीतिक नेताओं और बिचौलियों से जुड़े एक गिरोह द्वारा राज्य में ढुलाई किए जाने वाले प्रत्येक टन कोयले पर 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की जा रही थी।