गले में स्वर यंत्र कैंसर से पीड़ित जशपुर के 33 वर्षीय सुशील मुण्डा की ऑपरेशन के बाद लौटी आवाज, रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में हुआ सफल इलाज

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रायपुर 27 दिसम्बर 2024/ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल एवं वित्त मंत्री ओ.पी.चौधरी के निर्देशन में रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार हो रही है, जिससे आमजन लाभान्वित हो रहे है।

स्व. लखीराम अग्रवाल स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ लगातार अपनी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए प्रयास करते हुए मरीज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान कर रही है। इस कड़ी में कान, नाक, गला विभाग द्वारा जशपुर निवासी 33 वर्षीय सुशील मुण्डा का डीन डॉ. विनीत जैन एवं अस्पताल अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार मिंज के मार्गदर्शन में सफल ऑपरेशन किया गया।
उल्लेखनीय है कि जशपुर निवासी 33 वर्षीय मरीज सुशील मुण्डा के लिए यह एक विकट स्थिति थी। वह पिछले दो वर्षों से खाँसी की समस्या से पीड़ित थे और पिछले छह महीनों से उसकी आवाज ने भी उसका साथ छोड़ दिया था। वे कई जगह इलाज के पश्चात निराश होकर मेडिकल कॉलेज रायगढ़ पहुँचे। नाक, कान, गला रोग विभाग में विभिन्न तरह की जांच से पता चला वह स्वर यंत्र के कैंसर से पीड़ित है। जिसका इलाज महँगा है और बड़े महानगरों में होता है, किंतु कान, नाक, गला रोग विभाग के विशेषज्ञ सर्जन ने उन्हें आश्वस्त किया कि इसका इलाज मेडिकल कॉलेज में संभव है और विशेषज्ञ सर्जन द्वारा इलाज की विभिन्न प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया। रोगी की सहमति के बाद विभिन्न विभागों ने मिलकर सर्जरी की तैयारी की गई। कान, नाक, गला, रोग विभाग की सर्जन टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. जया साहू, डॉ. दिनेश पटेल सहप्राध्यापक, डॉ. नीलम नायक सहायक प्राध्यापक, डॉ. आयुषी सिंह, डॉ. अनिल कुमारी, डॉ. स्वाति पवार, डॉ. रमेश पटेल, डॉ. भावेश साहू, डॉ. खुशबू पटेल, निश्चेतना विभाग टीम के विभागाध्यक्ष डॉ. ए.एम. लकड़ा द्वारा जटिल ऑपरेशन को सफलता पूर्वक किया जिसमें मेडिसिन विभाग के सहप्राध्यापक डॉ. जितेन्द्र नायक का भी विशेष सहयोग रहा। ऑपरेशन के बाद कुछ दिनों तक रोगी को आईसीयू में डॉक्टर की निगरानी में रखा गया जहाँ निश्चेतना विभाग, मेडिसिन विभाग, डाइटीशियन और नर्सों की परिचर्या के उपरांत आज रोगी पूर्णत: स्वस्थ हैं और उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया है।
क्या है टीएलपीपी जाने इलाज की प्रक्रिया
विशेषज्ञ सर्जन एवं सहप्राध्यापक ईएनटी डॉ. दिनेश पटेल ने बताया कि इस ऑपरेशन का नाम टीएलपीपी (टोटल लेरिंजेक्टमी पार्शियल फेरिंजेक्टमी) है। इसमें पूरा स्वर यंत्र, स्वाँस नली और खाद्य नली का ऊपरी हिस्सा निकाल दिया जाता है, फिर खाद्य नली, स्वाँस नली दुबारा बनाया गया है। मरीज को कुछ दिनों तक आईसीयू में रखना पड़ता है। जहाँ डाइटिशियन की निगरानी में पौष्टिक नियंत्रित आहार दिया गया। बातचीत दुबारा सिखाने के लिए स्पीच थेरेपिस्ट कुमारी विकासलता लकड़ा एवं श्रीमती सृष्टि महाशब्दे द्वारा थेरेपी की गई। अब मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है एवं बोलने में सक्षम हैं। इस ऑपरेशन का निजी अस्पताल में पाँच से छह लाख का खर्च आता है। यह सुविधा रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध है, जिसमें मरीज का संपूर्ण जांच एवं इलाज नि:शुल्क किया गया।

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