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सरकारी छुट्टी BREAKING : अंबेडकर जयंती पर देशभर में राजकीय अवकाश घोषित, सरकार ने लिया फैसला, देखें आदेश

नई दिल्ली, 28 मार्च 2025

14 अप्रैल 2025 का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक और सम्मानजनक अवसर के रूप में दर्ज होगा, क्योंकि इस दिन को मोदी सरकार ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में देशभर में राजकीय अवकाश घोषित किया है। यह निर्णय भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग) द्वारा जारी एक आधिकारिक ज्ञापन के तहत लिया गया है, जिसे 27 मार्च 2025 को नई दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक से जारी किया गया।

 

सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों पर लागू होगा अवकाश

डॉ. बी. आर. आंबेडकर, जिन्हें प्यार से बाबासाहेब कहा जाता है, ने भारत के संविधान को आकार देने के साथ-साथ सामाजिक समानता, दलितों और वंचितों के उत्थान के लिए अथक संघर्ष किया। उनकी जयंती, जो 14 अप्रैल को मनाई जाती है, न केवल उनके योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने और एक समावेशी समाज की दिशा में कदम बढ़ाने का भी प्रतीक है। इस वर्ष, 14 अप्रैल को सोमवार के दिन होने के कारण, यह अवकाश देशभर के सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालयों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में लागू होगा।

इन जगहों पर रहेगा अवकाश

आधिकारिक ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि इस निर्णय को सभी मंत्रालयों और विभागों तक पहुंचाया जाए, जिसमें यूपीएससी, सीवीसी, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, और अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों को शामिल किया गया है। इसके साथ ही, सभी संलग्न और अधीनस्थ कार्यालयों, स्वायत्त निकायों, और सार्वजनिक शिकायत और पेंशन मंत्रालय से संबंधित इकाइयों को भी इस अवकाश का पालन करने का निर्देश दिया गया है। इस अवकाश की घोषणा को व्यापक प्रचार के लिए पीआईबी, शास्त्री भवन, और डीओपीटी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

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इस अवकाश के दौरान, स्कूल, कॉलेज, और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे, जिससे लोग विभिन्न आयोजनों, सेमिनारों, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर बाबासाहेब के जीवन और उनके सामाजिक सुधारों को याद कर सकेंगे। यह अवकाश न केवल एक दिन की छुट्टी है, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो समाज में जागरूकता, समानता, और एकता को बढ़ावा देगा। मोदी सरकार का यह कदम डॉ. आंबेडकर के प्रति गहरे सम्मान और उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिससे देश उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ सके।

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