भूपेश टांडिया
रायपुर 24 फरवरी 2021
प्रदेश के 252 महाविद्यालयों में वर्षों से प्राध्यापकों के विरूद्ध उच्च शिक्षा का बैसाखी बने 2500 अतिथि व्याख्याताओं को 11 माह की बेरोजगारी के बाद खुशखबरी मिली थी। उस पर अधिकांश प्राचार्यों की मनमानियों का ग्रहण लग गया है।
विदित हो कि मंत्रालय से लेकर संचालनालय तक अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति के लिए आदेश जारी कर चुके है। दिहाड़ी अधिकतम 800/- का वेतन प्रावधान पूर्व निर्धारित है। फरवरी के माह के अंतिम चार दिन ही शेष है आदेश जारी होने के बाद भी नियुक्ति नहीं मिल पाने की वजह से हर एक अतिथि व्याख्याताओं को प्राचार्यों की वजह 3200 रूपए का आर्थिक नुकसान सहना पड़ेगा।
शासनादेश पर अतिथि व्याख्याताओं को 24 फरवरी को अनिवार्य रूप से नियुक्ति दिया जाना चाहिए था। जहां एक तरफ नियमित प्राध्यापकों की दैनंदिनी में एक पेपर पूर्ण होने को है। वहां अतिथि व्याख्याताओं के विषय पर अध्यापन शुरू होगा।
छात्र-छात्राओं के सिलेबस और अतिथि व्याख्याताओं की बेरोजगारी को देखते हुऐ प्राचार्यों को शीघ्रातिशीघ्र नियुक्ति देनी चाहिए लेकिन प्रदेश के अधिकांश प्राचार्य मनमानी करते हुए उच्च शिक्षा विभाग के आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और अतिथि व्याख्याताओं को रंग बिरंगे नियम कानून बता रहे है कई प्राचार्य तो अतिथि व्याख्याताओं का पुनः नियुक्ति के लिए माननीय उच्च न्यायालय से प्राप्त स्टे आर्डर में उल्लेखित स्पष्ट आदेश होने के बाद भी उनके पद के विरूद्ध विज्ञापन निकाल दिया है।
सरगुजा से लेकर बस्तर तक के कई अतिथि व्याख्याता ऩियुक्ति के लिए आवेदन और दस्तावेज लेकर भटकते रहे। कुछ व्याख्याताओं ने संचालनालय से मदद की गुहार लगाई जिस पर उच्च शिक्षा विभाग रायपुर के वरिष्ठ अधिकारीयों ने हस्तझेप कर नियुक्ति दिलवाई है और नियुक्ति के लिए स्पष्ट आदेश होने के बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर प्राचार्यों को डांट फटकार लगाई है।
प्रदेश प्रभारी धीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि नियुक्ति में आनाकानी करने वाले प्राचार्यों के विरूद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। अतिथि व्याख्याता समूह छत्तीसगढ़ ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए शासन -प्रशासऩ सहित छत्तीसगढ़ सरकार से ऩ्याय की गुहार लगाई है साथ ही प्राचार्यों को कारण बताओ नोटिस जारी करने की मांग भी किया है।