■ 2022 में राजनीति के मैदान में कांग्रेस रही बीजेपी पर हावी
■ दो विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस को किया क्लीन बोल्ड
■ 2023 में होंगे विधानसभा चुनाव
प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 31 दिसंबर 2022
अंग्रेजी वर्ष 2022 का आज अंतिम दिन है । वर्ष 2022 छत्तीसगढ़ में राजनीतिक लिहाज से काफी चर्चा में रहा । इस वर्ष राजनीति के मैदान में विधानसभा उपचुनाव, टी एस का इस्तीफ़ा, ED की दबिश, बीजेपी में बदलाव के साथ राज्यसभा सीटों में बाहरियों को मौका प्रमुख रहा ।
तो आइए जानते है कि 2022, कांग्रेस और बीजेपी के लिए कैसे बीता?, और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर क्या है दोनों पार्टियों की रणनीति?
विधानसभा उपचुनावों में बीजेपी को मिली करारी हार
वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद विधानसभा का उपचुनाव हुआ । इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने 20166 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी को मात दी । इस उपचुनाव में कांग्रेस ने खैरागढ़ को जिला बनाने की बात कही और यह फॉर्मूला काम कर गया । खैरागढ़ के बाद भानुप्रतापपुर में विधानसभा के उपाध्यक्ष और कांग्रेस विधायक मनोज मंडावी के निधन के बाद खाली हुई भानुप्रतापपुर सीट पर भी उपचुनाव हुआ । उस उपचुनाव में भी कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दी । भानुप्रतापपुर के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मंडावी ने बीजेपी उम्मीदवार को 21171 वोटों से हरा दिया । दोनों जगह के उपचुनावों को देखें तो यह साफ है कि 2022 बीजेपी के लिए राजनीतिक दृष्टि से काफी खराब रहा ।
राज्यसभा में CG से बाहर के व्यक्ति को सांसद बनाने पर माहौल रहा गर्म
छत्तीसगढ़ में इस वर्ष राज्यसभा के दो सीटों पर सांसद चुने गए । इस बार राज्यसभा के सांसदों के रूप में कांग्रेस ने दो ऐसे व्यक्तियों को टिकट दिया, जो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी नहीं है । इस बात को लेकर बीजेपी ने भी कई बार सरकार पर हमला बोला । बीजेपी का आरोप था कि अपने आपको छत्तीसगढ़िया बताने वाली कांग्रेस सरकार आखिर छत्तीसगढ़ से बाहर के व्यक्तियों को क्यों राज्यसभा भेज रही है । तमाम राजनीतिक बयानबाजी के बीच छत्तीसगढ़ से राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन राज्यसभा सांसद चुने गए । राजीव शुक्ला कांग्रेस पार्टी के बड़े नामों में से हैं और रंजीत रंजन, पप्पू यादव की पत्नी है ।
टी एस सिंहदेव का इस्तीफा
छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव का इस्तीफा भी इस वर्ष राजनीति के मैदान में कई सवाल लेके आया । दरअसल, कैबिनेट मंत्री टी एस सिंहदेव ने पंचायत विभाग से अपना इस्तीफा दे दिया । फिर, इसके बाद राजनीति के मैदान में कई तरह की बयानबाजी भी सामने आई । अभी बीते दिनों टी एस सिंहदेव ने कहा कि इस बार चुनाव लड़ने की उतनी इच्छा नहीं है । इसपर कैबिनेट मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कह दिया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि टी एस चुनाव लड़े या नहीं ।
बीजेपी में बदलाव का रहा साल
छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के साथ संग़ठन में बड़े पैमाने पर बदलाव किया । भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष को भी पार्टी ने बदला । बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान विष्णुदेव साय से लेकर अरुण साव को दी गई, तो भाजयुमों की जिम्मेदारी अमित साहू के बजाय रवि भगत को दी गई । साथ ही संगठन में बड़े पैमाने पर बदलाव हुआ ।
2023 दोनों पार्टियों के लिए अहम
छत्तीसगढ़ में 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं । ऐसे में 2023 दोनों पार्टियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है । कांग्रेस पार्टी जहां 15 सालों के बाद सत्ता में आने के बाद जीत के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाते दिखेगी, तो बीजेपी भी पांच विधानसभा के उपचुनावों की हार के साथ 2018 में हुए सबसे बुरे परफॉर्मेंस को भूलकर सरकार बनाने की कोशिश करेगी ।
इस साल नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। देखना होगा कि कौन सी पार्टी किसपर भारी पड़ती है और कौन राजनेता मैन ऑफ द ईयर बनता है ।