प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 20 मार्च 2023
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के शिक्षा विभाग में आए दिनों अलग-अलग किस्से सुनने को मिलते हैं । अभी कुछ दिन पहले ही कसडोल विकासखंड के देवरुंग में एक बात सामने आई थी कि एक शिक्षक अपनी जगह पर किराए के शिक्षक रखकर उसे स्कूल में भेजता है और किराए का शिक्षक शिक्षक के स्थान पर बच्चों को पढ़ाने का काम करता है और उसके एवज में सरकारी शिक्षक, किराए के शिक्षक को पैसे भी देता है । इस मामले में अचरज की बात यह रही कि न तो बी ई ओ को और ना ही संकुल समन्वयक को लंबे समय तक इसकी जानकारी लगी । वही कल ही जिला पंचायत सीईओ ने आदेश जारी कर अप्रैल 2014 के बाद से भाटापारा के देवरी में अनुपस्थित शिक्षिका मैगदलीन अंथोनी की सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया है । एक और मामला सामने आया कि बलौदा बाजार जिले के कसडोल विकासखंड के स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती की गई, जिनके पास ना तो बी.एड की डिग्री है और ना ही डी. एड की । इस मामले में BEO ने कहा है कि सीएम साहब आने वाले थे, इसलिए जल्दी – जल्दी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर दी ताकि सीएम साहब के पास कोई शिकायत न हो । ऐसे में आप समझ सकते हैं कि बलौदा बाजार जिले में शिक्षा का क्या हाल है?
बलौदा बाजार जिले में ही अब शिक्षा विभाग में ही एक और नया मामला सामने आया है और यह मामला इस बार काफी संवेदनशील है, क्योंकि बीते वर्ष जब सहायक शिक्षक (एलबी) की पदोन्नति की गई, तो इसमें नियमों को दरकिनार कर ऐसे सहायक शिक्षक (एलबी) को प्रधान पाठक के पद पर आसीन कर दिया गया जो नियम के विपरीत था । यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उन नियुक्तियों से हमें जानकारी मिली है । दरअसल, कसडोल विकासखंड के मड़कड़ा में पदस्थ सहायक शिक्षक (एलबी) हेमचंद पटेल ने जिले के जिला शिक्षा अधिकारी और कलेक्टर को पत्र के माध्यम से शिकायत की है कि जब बीते वर्ष सहायक शिक्षक (एलबी) की पदोन्नति प्रधान पाठक में की जा रही थी, तो उनको यह कह कर पदोन्नति का लाभ नहीं दिया की वह तय नियम को फॉलो नहीं करते हैं । जबकि उनके साथ नियुक्त हुए अन्य 2 सहायक शिक्षकों को उस प्रमोशन का लाभ दे दिया गया । ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक विभाग में तीन शिक्षकों के लिए अलग-अलग नियम निकलते हैं या फिर अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियम को दरकिनार कर, जहां एक को अपात्र बता दिया जाता है वही 2 शिक्षकों को पात्र बताकर उनकी पदोन्नति कर दी जाती है ।
दरअसल, पिछले साल हुई प्रधान पाठक की पदोन्नति में जिले भर के शिक्षकों से आवेदन मंगाए गए थे और इस लिस्ट में उन शिक्षकों का नाम शामिल होना था जिनका नियुक्ति के समय के बाद एक विकासखंड से दूसरे विकासखड में तबादला नहीं हुआ है, उन सहायक शिक्षकों को ही वरिष्ठता का लाभ मिलता और प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नत किया जाता । ऐसे में आवेदक हेमचंद पटेल को लगा कि वह इस नियम को फॉलो नहीं करते इसलिए उसे आवेदन करने के बाद भी अपात्र घोषित कर दिया है । लेकिन जब पदोन्नत प्रधान पाठकों की सूची आई, तो लिस्ट में 2 शिक्षक ऐसे भी थे जो जिनकी नियुक्ति हेमचंद पटेल के समय हुई थी और उनका भी तबादला अन्य विकासखंड में हुआ था । लेकिन, आश्चर्य की बात यह रही कि प्रधान पाठक के पदोन्नति लिस्ट में हेमचंद पटेल का नाम तो नहीं रहा लेकिन दो सहायक शिक्षक जिनके नाम उपेंद्र कैवर्त्य और कुमारी भाई ठाकुर, उनका नाम इस लिस्ट में था ।
मीडिया24 को मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों शिक्षकों की नियुक्ति भी हेमचंद पटेल के नियुक्ति वर्ष में हुई थी और इन दोनों शिक्षकों का तबादला भी जिले के अन्य विकास खंडों में किया गया था । लेकिन, ताज्जुब की बात यह रही कि हेमचंद पटेल को इस वजह से प्रधान पाठकों की पदोन्नति सूची में जगह नहीं मिली क्योंकि उनका अन्य विकास खंड में तबादला हो गया था जबकि इन दोनों शिक्षकों का अन्य विकास खंड में तबादला होने के बावजूद इनको प्रमोशन का लाभ मिल गया ।
इस मामले को लेकर सहायक शिक्षक एलबी हेमचंद पटेल ने जिले के कलेक्टर के साथ जिले के शिक्षा अधिकारी से भी शिकायत कर मांग की है कि उन्हें भी उन नियमों के तहत जिन नियमों से इन दोनों शिक्षकों की पदोन्नति हुई है उनका भी पदोन्नति सूची में नाम डाला जाए, लेकिन 17 अक्टूबर 2022 के दिए आवेदन पर अभी तक जिले के कलेक्टर और जिले के शिक्षा अधिकारी ने कोई संज्ञान नहीं लिया है । ऐसे में सवाल उठता है कि अब यह शिक्षक अपनी फरियाद लेकर किसके पास जाए?
वैसे शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग को काफी महत्वपूर्ण विभाग माना जाता है और इन दोनों विभागों में ऐसे लोगों की नियुक्ति की जाती है, जिनके पास काफी तजुर्बा होता है साथ ही उच्च पद पर ऐसे व्यक्तियों को बिठाया जाता है जिनके पास तजुर्बे का बेहद लंबा इतिहास रहता है । लेकिन, जिस प्रकार से बलौदा बाजार के शिक्षा विभाग के प्रधान पाठक पदोन्नति में नियमों को दरकिनार किया गया साथ ही बलौदा बाजार जिले के कसडोल विकासखंड में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति बगैर पात्र लोगों की कर दी गई । ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शिक्षा विभाग ऐसा करके बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहा है? सवाल काफी गंभीर हैं, लेकिन शायद जवाब कुछ भी नहीं । अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि सहायक शिक्षक हेमचंद पटेल को न्याय मिल पाता है भी या नहीं?
क्या संबंधित संकुल समन्वयक और BEO पर नहीं होनी थी कार्रवाई?
कसडोल विकासखंड के देवरुंग के स्कूल में यह बात सामने आई थी कि विगत 7 माह से(मामला आने से पहले) स्कूल में पदस्थ शिक्षक बच्चों को शिक्षा देने नहीं आता है और अपनी जगह दूसरे व्यक्ति को शिक्षक बनाकर बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजता है और उसके एवज में उस किराए के शिक्षक को पैसा भी देता है । इस मामले को अगर हम गंभीरता से लें तो पता चलता है कि क्या संकुल समन्वयक को यह पता नहीं था कि विगत 7 माह से ऐसा हो रहा है और अगर पता था तो संकुल समन्वयक 7 माह से क्या कर रहा था और अगर पता नहीं भी था तो क्या संकुल समन्वयक की जिम्मेदारी नहीं बनती की स्कूल में क्या हो रहा है?, इसकी जानकारी रखें ।
जानकारी के मुताबिक 5 स्कूलों के लिए एक संकुल समन्वयक की नियुक्ति की जाती है, जो स्कूलों में जाकर शिक्षकों की बैठक लेकर यह सब जानने का प्रयास करते हैं कि शिक्षा की व्यवस्था कैसी है?, ऐसे में संकुल समन्वयक के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं होना कई सवाल खड़े करता है और सवाल ।
सवाल यह भी खड़े होता है कि BEO ने संकुल समन्वयक पर कार्रवाई क्यों नहीं की और अगर संकुल समन्यवक पर कार्रवाई नहीं की, तो क्या जिले के शिक्षा अधिकारी को BEO के ऊपर कार्रवाई नहीं करना था । लेकिन, शायद इन सब बातों का जिले के जिम्मेदार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कोई प्रभाव नहीं पड़ता । इसलिए, शिक्षा विभाग ने अपनी निष्ठा दिखाते हुए बस शिक्षक को सस्पेंड कर दो और कार्रवाई पूरी हो गई ।
क्या DMF फंड से हुई नियुक्ति पर हुई कोई जांच?
विधानसभा के सदन में बलौदाबाजार जिले में हुई DMF फंड की राशि के बंदरबांट का मामला गूंज रहा है । पहले विधायक प्रमोद शर्मा ने पुरजोर तरीके से मुद्दे को उठाया फिर पूर्व नेता प्रतिपक्ष और विधायक धरमलाल कौशिक ने भी जिले में DMF फंड में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया । आपको बताते चलें कि जिले के कसडोल विकासखंड के लगभग 100 स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की भर्ती की गई है, लेकिन इनमें से कई अतिथि शिक्षकों के पास न तो बी एड की डिग्री है और न ही डी एड की डिग्री है । लेकिन, बावजूद इसके ये अतिथि शिक्षक, बच्चों को DMF फंड के पैसे से शिक्षा देने का काम कर रहे हैं । ऐसे में सवाल उठता है कि जब यह जानकारी जिले के शिक्षा अधिकारी के पास है, तो विकासखंड शिक्षा अधिकारी के ऊपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रहा है?
जिम्मेदार कौन? : कटगी में ट्रिनिटी पब्लिक स्कूल बिना मान्यता के हो रहा था संचालित, CM के आने के एक दिन पहले ही DEO ने दी अनुमति, CM से होगी शिकायत
बिना मान्यता वाले प्राइवेट स्कूल पर शिक्षा विभाग मेहरबान?
आपको बताते चलें कि कसडोल विकासखंड के कटगी में स्थित ट्रिनिटी पब्लिक स्कूल, जो कि एक प्राइवेट स्कूल है । इसमें इसी साल के जनवरी तक कोई मान्यता नहीं मिली थी, बावजूद इसके यह प्राइवेट स्कूल पिछले शिक्षा सत्र से लगातार संचालित है । इस विषय को MEDIA24 न्यूज़ ने प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया था, उस समय जिले के शिक्षा अधिकारी का कहना था की स्कूल को कोई मान्यता नहीं मिली है मैं जल्द ही स्कूल को बंद करवा लूंगा और जिम्मेदारों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करवा लूंग जिसकी ऑडियो क्लिप MEDIA24 न्यूज़ के पास है, अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि बिना मान्यता के स्कूल, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में होने के बावजूद बेधड़क रुप से संचालित हो रही है और जिम्मेदार शिक्षा विभाग के अधिकारी इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं जिला शिक्षा अधिकारी ने उस समय बताया था कि इस स्कूल के जांच के लिए ABEO को भेजा गया था और एबीईओ ने साफ कहा था कि स्कूल के पास मान्यता संबंधी कोई दस्तावेज नहीं है । MEDIA24 न्यूज ने इस विषय पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी से भी बात की है, उनका कहना है कि स्कूल के पास मान्यता संबंधी कोई दस्तावेज नहीं है, जबकि प्राइवेट स्कूल की मान्यता लेने की मियाद जून – जुलाई तक रहती है । ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जिले में कोई भी प्राइवेट स्कूल बिना मान्यता के ऐसे संचालित होती रहेगी और जिम्मेदार अधिकारी आंख बंद कर उस पर कोई कार्रवाई नहीं करेंगे ।