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नई दिल्ली: आधी रात आया एक अध्यादेश और दिल्ली में काफी कुछ बदल गया, 10 पॉइंट में समझिए पूरी बात

प्रमोद मिश्रा , 20 मई 2023

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राजधानी दिल्ली में अधिकारों के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। आधी रात केंद्र सरकार का एक अध्यादेश आया और एक बार फिर से स्थिति बदल गई। जी हां, राजधानी में आला अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग अब दिल्ली सरकार नहीं कर सकेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र ने देर रात अध्यादेश के जरिए अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए सिविल सर्विस अथॉरिटी बनाने का फैसला किया है। राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी भी दे दी है। ऐसे में यह सवाल फिर से तैरने लगा है कि दिल्ली का ‘बॉस’ अब कौन होगा? दरअसल, केंद्र सरकार ने अध्यादेश में जो व्यवस्था दी है उसमें सीएम को चीफ तो बनाया गया है लेकिन उनसे ऊपर LG होंगे। इस तरह से देखें तो दिल्ली में उपराज्यपाल की ही चलेगी।

आधी रात आए अध्यादेश में क्या-क्या है
1. दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सिविल सर्विस अथॉरिटी बनेगी।
2. दिल्ली के मुख्यमंत्री इस अथॉरिटी के चेयरमैन होंगे।
3. दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी इसके सदस्य होंगे। दिल्ली के गृह सचिव भी इसके सदस्य सचिव बनाए गए हैं।

 

4. अथॉरिटी में फैसले बहुमत के आधार पर होंगे।
5. अगर उपराज्यपाल इस अथॉरिटी के फैसले से सहमत नहीं होते हैं तो वह इन फैसलों को पुनर्विचार के लिए दोबारा अथॉरिटी को भेज सकेंगे।
6. हालांकि अगर अथॉरिटी दूसरी बार भी उपराज्यपाल को वही प्रस्ताव भेजती है तो उन्हें उसकी मंजूरी देनी होगी।
7. प्राधिकरण की सलाह पर केंद्र सरकार जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए इसके (प्राधिकरण के) लिए आवश्यक अधिकारियों की श्रेणी का निर्धारण करेगी और प्राधिकरण को उपयुक्त अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी।

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8. मौजूदा किसी भी कानून के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण ‘ग्रुप-ए’ के अधिकारियों और दिल्ली सरकार से जुड़े मामलों में सेवा दे रहे ‘दानिक्स’ अधिकारियों के तबादले की सिफारिश कर सकेगा, लेकिन वह अन्य मामलों में सेवा दे रहे अधिकारियों के साथ ऐसा नहीं कर सकेगा।
9. प्राधिकरण सभी मुद्दों पर फैसला उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से करेगा। सभी सिफारिशों का सदस्य सचिव सत्यापन करेंगे।
10. प्राधिकरण अपने अध्यक्ष की मंजूरी से सदस्य सचिव द्वारा तय समय और स्थान पर बैठक करेंगे।

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर वाले अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली के LG दूसरे राज्यपालों की तरह नहीं हैं। वे दिल्ली के प्रशासक भी हैं। वैसे, कुछ घंटे पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश की योजना बना रही है।

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