CG में गोधन न्याय योजना से पूरा हो रहा डॉक्टर बनने का सपना : गोबर बेचकर की पढ़ाई, अब मेडिकल कॉलेज में मिला दाखिला, CM ने फोन कर दी छात्र को बधाई, पढ़ें आलोक की मोटिवेशनल स्टोरी

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 14 नवंबर 2022

छत्तीसगढ़ में जब गोबर खरीदी की शुरुआत हुई, तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि गोबर खरीदी के पैसे से कोई छात्र इतना आमदनी करेगा कि उसका एडमिशन मेडिकल कॉलेज में हो जाएगा । लेकिन, ऐसा हुआ है छत्तीसगढ़ में, जहां एक छात्र ने गोबर खरीदी के आमदनी हुए पैसे से मेडिकल परीक्षा(नीट) की तैयारी की और अब मेडिकल कॉलेज में दाखिला भी मिल गया । दरअसल, छत्तीसगढ़ में शुरू हुई गांव-गांव गोबर खरीदी से ग्रामीणों को कई प्रकार की सुविधाएं मिल रही हैं। गोधन न्याय योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग ग्रामीण पशुपालक अब अपने बच्चों की स्कूली पढ़ाई-लिखाई और उच्च शिक्षा के लिए कर रहे हैं। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के आलोक सिंह का नीट परीक्षा के लिए कोचिंग की फीस और मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए गोधन न्याय योजना से मिली राशि बहुत काम आई है। आमखेरवा गांव के रहने वाले आलोक के पिता संतोष सिंह का मानना है कि उनके जीवन में गोधन न्याय योजना ने खुशियों के रंग भर दिए हैं।

 

 

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को आलोक सिंह के परिवार और उनकी पृष्ठ भूमि के बारे में तथा मेडिकल में चयन की जानकारी मिली तो, उन्होंने आलोक सिंह और उनके माता-पिता को फोन कर बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। संतोष मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि गोधन न्याय योजना सच में हम जैसे जरूरतमंद लोगों के बड़े सपनों को साकार करने वाली योजना है, आपके इस जनहितैषी योजना से आज मेरा भी सपना पूरा हुआ है। उन्होंने बताया कि आलोक के नीट परीक्षा के कोचिंग के लिए गोधन न्याय योजना की राशि बहुत काम आई। इसी योजना की राशि से मेडिकल कॉलेज की फीस भरी गई।

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आलोक के पिता संतोष बताते हैं कि उन्हें जैसे ही बेटे की सफलता का पता चला पूरे परिवार में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी, क्योंकि सभी का चाहते थे की आलोक डॉक्टर बनकर परिवार का नाम रौशन करे। वे बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर हमने कभी नहीं सोचा था कि यह दिन भी आएगा, क्योंकि एक साधारण आठ सदस्यीय पशुपालक परिवार के रूप में यह सोचना भी हमारे लिए सपना था, लेकिन गोधन न्याय योजना से यह सपना आज पूरा हुआ है।

उन्होंने बताया कि उनके पास लगभग 40 पशु हैं, छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना की शुरुआत से वह गोबर विक्रय कर रहे हैं, उन्होंने अब तक कुल 3 लाख 25 हजार रुपए का गोबर बेचा है। उन्होंने बताया कि 12 वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आलोक ने राजस्थान स्थित कोटा से नीट की परीक्षा हेतु कोचिंग करने की इच्छा जाहिर की, कोचिंग हेतु फीस का पूरा खर्च गोबर विक्रय से प्राप्त राशि से हो गया और आज बेटे की सफलता ने मुझे गौरवान्वित किया, आलोक का दाखिला कांकेर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में होगा।

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