प्रमोद मिश्रा, 9 जून 2023
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी सैलजा की ओर से मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड मंगाने पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट कार्ड देखना है, तो मुख्यमंत्री भूपेश का देखें। रिपोर्ट कार्ड मुख्यमंत्री का होता है। कांग्रेस में आज से ही भय व्याप्त हो गया है। जिस प्रकार से दावेदारों की भीड़ दिख रही है, उसमें आज से ही राजनीति शुरू हो गई है
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट कार्ड देखना है, तो मंत्रियों का क्या मांगते हैं, मुख्यमंत्री का रिपोर्ट कार्ड देखें। कितने सड़क बने, कितने पुल बने, कितने स्कूल बने, कितने अस्पताल बने, कितने इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च हुआ, कितने पॉवर सेक्टर में इन्वेस्टमेंट हुआ। मुख्यमंत्री के परफॉर्मेंस के साथ ही विधायकों और मंत्रियों की परफॉर्मेंस और भी खराब है। देखा जाए तो पाटन और दुर्ग को छोड़कर पूरे छत्तीसगढ़ में 88 विधानसभा और हैं। 88 विधानसभा क्षेत्र में कितने काम हुए हैं। उन कामों का मुख्यमंत्री को हिसाब देना चाहिए। बाद में परफॉर्मेंस देखा जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री सीएम ने कहा कि कोई भी काम नहीं हुआ है। सिर्फ 2 जगहों पर काम हुआ है, बाकी कहीं काम नहीं किया गया है, इसलिए शैलजा को यदि समीक्षा करना चाहिए, तो मुख्यमंत्री के कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के के चहरों के सवाल पर कहा कि बीजेपी के पास चेहरों और काम की कमी नहीं है। विकास के नाम पर जनता के बीच जाएंगे। हमारे पास राष्ट्रीय स्तर पर पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा है। 15 साल के कामकाज का आधार है। मोबाइल बांटने के सवाल पर कहा कि जब यात्रा निकाली जाती है। प्रदेश में जिनकी भूमिका रही है। वह चाहे धार्मिक क्षेत्र हो, राजनीतिक क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र हो, उनके सम्मान में यात्रा निकाली जाती है। समाज और अपने विकास पुरुषों को सामने रखकर यात्रा निकाली जाती है। सीएम भूपेश बघेल को इसमें आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
राम वनगमन पथ में एक भी राशि राज्य की नहीं लगी है, जो भी राशि लगी है वह केंद्र की है। सीएम भूपेश बघेल को पूरे राम वन गमन पथ का हिसाब देना चाहिए। इसमें कितने करोड़, कितने 100 करोड़ रुपए लगे। सिर्फ और सिर्फ पेपर मे विज्ञापन देने के नाम पर एक भी रुपया स्टेट कोटे से खर्च नहीं हुआ। यह सारे खर्च केंद्र की ओर से मिली राशि से हुआ है। ED के सवाल पर कहा कि सीएम को सोते वक्त और जागते वक्त केवल एक ही बात याद आती है। ईडी कहां तक पहुंचा और कहां आने वाला है।