प्रमोद मिश्रा, 9 मई 2023
अमृतसर: पाकिस्तान में मारे गए खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार के परिवार ने भारत सरकार से अपील की है। परिवार वालों के मुताबिक उनकी इच्छा है कि परमजीत सिंह का अंतिम संस्कार तरनतारन जिले में पैतृक गांव पंजवार में किया जाए। परिवार वालों ने अंतिम संस्कार करने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई है कि परमजीत का शव पाकिस्तान से वापस लाया जाए। पंजवार की पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या किए जाने के एक दिन बाद परिवार की यह अपील सामने आई है। पंजवार की उसी पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या कर दी गई जिस देश में उसने करीब 33 साल तक शरण ली थी।
37 सालों से परिवार से टूटा नाता
परमजीत के भाई बलदेव सिंह फौजी ने दावा किया कि परिवार वालों ने पिछले 37 सालों से आतंकवादी खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के प्रमुख को देखा या सुना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि परमजीत सिंह पंजवार की मौत हो गई है। हमने भारत सरकार से राजनयिक माध्यमों से पाकिस्तान सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने और उनकी डेडबॉडी को वापस लाने की अपील की है। ताकि हम कम से कम परमजीत का अंतिम संस्कार यहां कर सकें। उन्होंने कहा कि परिवार सोमवार को तरनतारन के डिप्टी कमिश्नर को एक लिखित प्रार्थना पत्र भी देगा।
सैर पर जाते वक्त मारी गई गोली
खालिस्तानी आतंकी के भाई ने कहा कि पंजवार के दो बेटे जर्मनी में रहते हैं। जबकि उनकी पत्नी पलजीत कौर का हाल ही में निधन हो गया था।
भारत सरकार के जरिए नामित आतंकवादी की हत्या के का रहस्य रविवार को गहरा गया। क्योंकि पाकिस्तान की ओर से कोई बयान नहीं आया था। सूत्रों के मुताबिक, पंजवार मलिक सरदार सिंह की फर्जी पहचान के तौर पर लाहौर में आईएसआई के एक सुरक्षित ठिकाने में रह रहा था।
पंजवार को कथित तौर पर शनिवार सुबह गोली मार दी गई थी। जब वह जौहर टाउन, लाहौर के सनफ्लावर सोसाइटी से अपने सुरक्षा गार्ड के साथ सुबह की सैर के लिए जा रहे थे।
पाकिस्तान सरकार पर बोझ बन गया था खालिस्तानी आतंकी
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों को संदेह है कि पंजवार लंबे समय तक वांछनीय परिणाम देने में कामयाब नहीं हो पाया। यही वजह थी की वह पाकिस्तान सरकार के लिए एक जिम्मेदारी की तरह बन गया था। सूत्रों ने कहा, ‘आईएसआई समर्थित लखबीर सिंह लांडा जैसे अन्य गुर्गों ने पंजाब में अपने नेटवर्क के माध्यम से आईएसआई को अच्छे परिणाम दिए थे।’ एक सूत्र ने कहा, ‘भारत विरोधी संगठनों, विशेष रूप से खालिस्तान समर्थक संगठनों को पाकिस्तान का समर्थन एक छिपा हुआ तथ्य नहीं है और अतीत में कई मौकों पर इसका प्रदर्शन देखने को मिल चुका है।’