कर्नाटक चुनाव से सबक: राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ इलेक्शन के लिए BJP रणनीति में करेगी बदलाव

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कर्नाटक चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद इस साल के अंत में होने वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पार्टी अपनी चुनावी रणनीति में कई बदलाव करेगी. पार्टी सूत्रों का मानना है कि इन विधानसभा चुनाव में प्रदेश के नेताओं के साथ पीएम मोदी ही सबसे बड़े पार्टी का चेहरा होंगे.

जनाधार वाले येदयुरप्पा के चुनावी मैदान से दूर होने और जगदीश शेट्टार को टिकट न देने से नुकसान हुआ. जिससे लिंगायत वोट बीजेपी के पाले से खिसक गए.

राजस्थान चुनाव में वसुंधरा राजे को मिलेगी तरजीह
इस साल के राजस्थान विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे को चुनावी दृष्टि से पहले की तरह महत्व मिलेगा. राजस्थान में किरोणीलाल मीणा, सतीश पूनिया, गजेंद्र सिंह शेखावत आदि को साथ रखने की ज़िम्मेदारी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी की होगी, जिसकी मॉनिटरिंग केंद्रीय नेतृत्व करेगा.

शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर लड़ा जाएगा चुनाव
सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश के सभी बड़े नेताओ को संकेत दे दिए थे कि एमपी में चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर लड़ा जाएगा. मध्य प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ,ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और नरोत्तम मिश्रा को पार्टी का साफ संदेश है. पूरा प्रदेश नेतृत्व एक साथ नजर आए क्योंकि एक छोटी से चूक पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में बड़ा नुक़सान पहुंचा सकती है. मध्यप्रदेश में सरकार और संगठन के बीच समन्वय को बेहतर करने पर जोर दिया जाएगा.

छत्तीसगढ में रमन सिंह पर भरोसा
छत्तीसगढ में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और बृज मोहन अग्रवाल पर पार्टी पूरा भरोसा जताएगी. साथ ही हर चुनावी राज्य में जातीय समीकरणों को साधा जाएगा और छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज को ज़्यादा नुमाइंदगी दी जा सकती है. जरूरत पड़ने पर गोड़वाना आदिवासी पार्टी के साथ भी एक दो सीटो पर गठबंधन किया जा सकता है.

तेलंगाना में प्रदेश अध्यक्ष बंडी संजय, ई राजेंद्रन और जी किशन रेड्डी को चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. सूत्रों की माने तो तेलंगाना में पार्टी चुनाव में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव में जाएगी. पार्टी के अंदर खाने इस बात की चर्चा है कि पार्टी ज़मीनी फीडबैक के आधार पर टीडीपी के साथ तेलंगाना में चुनावी गठबंधन करने से भी पीछे नहीं हटेगी .

केंद्रीय नेतृत्व संगठन में आपसी लड़ाई पर चुनाव से पूर्व पूरी तरह से लगाम लगाया जाएगा. जिसे हर मुद्दे पर संगठन की दृष्टि से और प्रचार में पूरी पार्टी में एक साथ नज़र आए.

 

 

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